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Tuesday, 15 May 2018

विसाल-ए-यार

क्या दूं मै मिसाले यार? वो तो है बेमिसाल!

यूं बुन रहा हूं मैं ये ख्याल,
कभी तो मिल जाएगा विसाल-ए-यार,
होश में न रह पाएंगे हम,
वो कर जाएंगे हमें बेख्याल!

क्या दूं मै मिसाले यार? वो तो है बेमिसाल!

है आफताब सा उनका नूर,
ढ़ला संगमरमर में है वो दीदार-ए-यार,
है उनसे ही तो ये रौशनी,
उनकी ही रंग से है ये गुलाल!

क्या दूं मै मिसाले यार? वो तो है बेमिसाल!

है बला की उनकी सादगी,
है जेहन मे बस वो ही ख्याल-ए-यार,
झुकी हुई सी वो निगाह,
यूं ही जीना न कर दे मुहाल!

क्या दूं मै मिसाले यार? वो तो है बेमिसाल!

यूं ही बुनता रहा मैं ख्याल,
यूं ही सपनों में बस विसाल-ए-यार,
शुकून उन्ही की वस्ल में,
है उन्ही में खोए हम बेख्याल!

क्या दूं मै मिसाले यार? वो तो है बेमिसाल!

Saturday, 1 October 2016

चिलमन

कह दे कोई चिलमनों से, जिन्दगी न छीने किसी से...

कभी  तरसाती  हैं बहुत, ये चिलमन के साये,
दीदार धुंधली सी कर पाती है जब ये निगाहें,
हैं चिलमनों के पार निखरी सी रौशन फिजाएँ,
चिलमनों के इस तरफ,  छाई है काली घटाएँ।

जल रहा है दीप कोई चिलमनों के उस तरफ,
गीत कोई बज रही है चिलमनों के उस तरफ,
शाम सुहानी ढल रही चिलमनों के उस तरफ,
धुंधली सी है विरानी,  चिलमनों के इस तरफ।

बरपाए है सदियों, जुल्म कितने चिलमनों ने,
चाँदनी थी गगन पे, दीदार की न हो किसी ने,
काटे हैं पल इस  तरह,  गुजारे हैं जैसे महीने,
जीवन के पलों से खुशी छीन ली हो किसी ने।

कह दे कोई चिलमनों से, जिन्दगी न छीने किसी से...

Tuesday, 2 February 2016

तोहफा-ए-दीदार

दीदार-ए-तोहफा वो दे गया,
मेरा जीवन मुझको ही छल गया।
जिन्दगी मिली चंद पलों की,
यादों मे जीवन का हर पल गया।

खुश्बु-ए-दीदार फैली हर तरफ,
सिलसिला फसानों का कम हुआ,
तैरती रही नींद में परछाईं सी,
अब तो दीदार-ए-स्वप्न ही रह गया।

ए जिन्दगी तू फिर से सँवर,
छल न तू मुझको मुझ संग गुजर,
दे तोहफा-ए-दीदार के भँवर,
पल जीवन के इनमें ही जाए गुजर।