नीरवता! ठहरी क्यूँ है रात भर?
है कैसी, ये कोशिशें?
असंख्य तारे, टंके आसमां पर,
कर कोशिशें, लड़े अंधेरों से रात भर,
रहे जागते, पखेरू डाल पर,
उड़ना ही था, उन्हें हर हाल पर,
चाहे, करे कोशिशें,
अंधेरे, रुकने की रात भर!
नीरवता! ठहरी क्यूँ है रात भर?
है कैसी, ये कोशिशें?
ठहर जा, दो पल, ऐ चाँद जरा,
अंधेरे हैं घने, तू लड़, कुछ और जरा,
भुक-भुक सितारों, संग खड़ा,
हो मंद भले, तेरे दामन की रौशनी,
पर, तू है चाँदनी,
कोशिशें, कर तू रात भर!
नीरवता! ठहरी क्यूँ है रात भर?
है कैसी, ये कोशिशें?
यूँ जारी हैं, हमारी भी कोशिशें,
जलाए हमने भी, उम्मीदों के दो दीये,
लेकिन भारी है, इक रात यही,
व्याप्त निशा, नीरवता ये डस रही,
बुझने, ये दीप लगी,
करती कोशिशें, रात भर!
नीरवता! ठहरी क्यूँ है रात भर?
है कैसी, ये कोशिशें?
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)