Saturday, 26 January 2019

आश्वस्ति

कुछ आश्वस्त हुए, भुक-भुक जले वे दीपक....

निष्ठुर हवा के मंद झौंके,
झिंगुर के स्वर,
दूर तक, वियावान निरन्तर,
मूकद्रष्टा पहर, कौन जो तम को रोके!

भुक-भुक, वे जलते दीये,
रहे बेचैन से,
जब तक वो जिये,
संग-संग चले, निष्ठुर हवा के साये तले!

वो थी कुछ बूँद पर निर्भर,
था कहाँ निर्झर,
जलकर हुए वो जर्जर,
निर्झरिणी, सिसकती रही थी रात-भर!

जैसे थम सी गई थी रात,
जमीं थी रात,
शाश्वत तम का पहरा,
आश्वस्ति कहाँ, बुझा-बुझा था प्रभात!

दीप के हृदय में सुलगती,
कुछ तप्त बूँदें,
दे रही थी आश्वस्ति,
तम ढ़ले, रोक कर न जाने को कहती!

कुछ आश्वस्त हुए, भुक-भुक जले वे दीपक....

20 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2019) को "गणतन्त्र दिवस एक पर्व" (चर्चा अंक-3229) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    गणतन्त्र दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. Replies
    1. आदरणीया अनुराधा जी, आभार। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

      Delete
  3. बहुत ही सुन्दर आदरणीय
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया अनीता जी, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित आभार ।

      Delete
  4. वाह आदरणीय सर बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया आँचल जी, बहुत-बहुत शुक्रिया ।

      Delete
  5. दीप के हृदय में सुलगती,
    कुछ तप्त बूँदें,
    दे रही थी आश्वस्ति,
    तम ढ़ले, रोक कर न जाने को कहती!

    कुछ आश्वस्त हुए, भुक-भुक जले वे दीपक.

    बहुत सुंदर मनोभाव

    ReplyDelete
  6. आदरणीय पथिक जी, प्रेरक शब्दों व सहयोग हेतु हृदय से स्वागत व आभार।

    ReplyDelete
  7. Replies
    1. आदरणीय रवीन्द्र जी, प्रेरित करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद । आभारी हूं ।

      Delete
  8. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 27 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  9. अति सुंदर अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया आभार आदरणीय दीपशिखा जी।

      Delete