चंद बातें, फीकी सी पड़ती इक चाय....
एक रूह, एक मैं,
एक तुम, एक पल एक संग,
एक एहसास, बेवजह एक बकवास,
एक ही जिद, विछोह भरे वो पल,
और एक तुम!
एक ही हकीकत,
एक चाहत, कितने ही ख्वाब,
एक सपना, गमगीन कितनी ही रात,
भँवर से उठते, हजारों जज़्बात,
और एक तुम!
साथ वो एहसास,
कुम्भलाता, कभी इतराता,
गहराता, उन पलों के नजदीक लाता,
कहीं धूँध में लिपटी एक परछाई,
और एक तुम!
सितारों भरी रातें,
खुली ये आँखें, भूली सी बातें,
एक तड़प, करवटो के दोनों ही तरफ,
ताकती दो आँखें, एक ही चेहरा,
और एक तुम!
यादें, भूले से वादे,
फीकी सी पड़ती एक चाय,
कई रातें, हजार करवटें, कई सिलवटें,
कई सुबह, बिन चीनी इक चाय,
और एक तुम!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
एक रूह, एक मैं,
एक तुम, एक पल एक संग,
एक एहसास, बेवजह एक बकवास,
एक ही जिद, विछोह भरे वो पल,
और एक तुम!
एक ही हकीकत,
एक चाहत, कितने ही ख्वाब,
एक सपना, गमगीन कितनी ही रात,
भँवर से उठते, हजारों जज़्बात,
और एक तुम!
साथ वो एहसास,
कुम्भलाता, कभी इतराता,
गहराता, उन पलों के नजदीक लाता,
कहीं धूँध में लिपटी एक परछाई,
और एक तुम!
सितारों भरी रातें,
खुली ये आँखें, भूली सी बातें,
एक तड़प, करवटो के दोनों ही तरफ,
ताकती दो आँखें, एक ही चेहरा,
और एक तुम!
यादें, भूले से वादे,
फीकी सी पड़ती एक चाय,
कई रातें, हजार करवटें, कई सिलवटें,
कई सुबह, बिन चीनी इक चाय,
और एक तुम!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
बहुत सुन्दर :-)
ReplyDeleteशब्द -शब्द हृदयस्पर्शी है..
बेहतरीन:-)
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत सुंदर अहसास भरी रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (7 -04-2019) को " माता के नवरात्र " (चर्चा अंक-3298) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteतनहाई का आभास,एक अलग सी अभिव्यक्ति,बेहतरीन और सुंदर !
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर ! फीकी चाय को भी इतनी स्वादिष्ट बनाने की क्षमता या तो सबसे बड़े चाय वाले में है या आप में.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय महोदय ।
Deleteएक फीकी सी चाय की प्याली में अहसासों की मिठास भर दी
ReplyDeleteआपने । बेहतरीन सृजन पुरुषोत्तम जी ।
शुक्रिया आदरणीय मीना जी।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय वर्मा जी। स्वागत है आपका इस पटल ।
Deleteबहुत ही कोमल भाव लिए सुन्दर
ReplyDeleteभावभीनी रचना ..
:-)
शुक्रिया । बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया । स्वागत है आपका इस पटल ।
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