Saturday, 6 April 2019

फीकी सी चाय

चंद बातें, फीकी सी पड़ती इक चाय....

एक रूह, एक मैं,
एक तुम, एक पल एक संग,
एक एहसास, बेवजह एक बकवास,
एक ही जिद, विछोह भरे वो पल,
और एक तुम!

एक ही हकीकत,
एक चाहत, कितने ही ख्वाब,
एक सपना, गमगीन कितनी ही रात,
भँवर से उठते, हजारों जज़्बात,
और एक तुम!

साथ वो एहसास,
कुम्भलाता, कभी इतराता,
गहराता, उन पलों के नजदीक लाता,
कहीं धूँध में लिपटी एक परछाई,
और एक तुम!

सितारों भरी रातें,
खुली ये आँखें, भूली सी बातें,
एक तड़प, करवटो के दोनों ही तरफ,
ताकती दो आँखें, एक ही चेहरा,
और एक तुम!

यादें, भूले से वादे,
फीकी सी पड़ती एक चाय,
कई रातें, हजार करवटें, कई सिलवटें,
कई सुबह, बिन चीनी इक चाय,
और एक तुम!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

18 comments:

  1. बहुत सुन्दर :-)
    शब्द -शब्द हृदयस्पर्शी है..
    बेहतरीन:-)

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  2. बहुत सुंदर अहसास भरी रचना

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  3. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (7 -04-2019) को " माता के नवरात्र " (चर्चा अंक-3298) पर भी होगी।

    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

    अनीता सैनी

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  4. तनहाई का आभास,एक अलग सी अभिव्यक्ति,बेहतरीन और सुंदर !

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  5. बहुत सुन्दर ! फीकी चाय को भी इतनी स्वादिष्ट बनाने की क्षमता या तो सबसे बड़े चाय वाले में है या आप में.

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय महोदय ।

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  6. एक फीकी सी चाय की प्याली में अहसासों की मिठास भर दी
    आपने । बेहतरीन सृजन पुरुषोत्तम जी ।

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  7. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय वर्मा जी। स्वागत है आपका इस पटल ।

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  8. बहुत ही कोमल भाव लिए सुन्दर
    भावभीनी रचना ..
    :-)

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    1. शुक्रिया । बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया । स्वागत है आपका इस पटल ।

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