Thursday, 16 April 2020

बिछड़न

दो साँसों की, बहती दोराहों में,
बिछड़े बहुतेरे...
बिखरे पत्तों पर, रोया कब तरुवर, 
टूटे पत्थर पर, रोया कब गिरिवर,
ये, जीवन के फेरे!

लय अपनी ही, फिर भी, चलती है साँसें,
बस, दो पल आह, हृदय भर लेता है,
फिर, राह पकड़, चल पड़ता है,
बहते नैनों मे, फिर भर जाते हैं सपने,
फिर, गैर कई, बन जाते हैं अपने!
देकर सपन सुनहरे!

दो साँसों की, बहती दोराहों में,
बिछड़े बहुतेरे...

कब टूटे तारों पर, शोक मनाता है अंबर,
बस, दो पल, ठिठक, जरा जाता है,
फिर, चंदा संग, वो इठलाता है,
फिर, लगते हैं घुलने, दो भाव परस्पर,
सँवर उठता है, संग तारों के अंबर!
कट जाते हैं अंधेरे!

दो साँसों की, बहती दोराहों में,
बिछड़े बहुतेरे...

शायद, जीवन का, आशय है, बिछड़न,
आँसू संग, हृदय जरा धुल जाता है,
पल विरह का, यूँ टल जाता है,
फिर, बनती है, जीवन की, इक धुन,
छनक उठती है, पायल रुन-झुन!
सूने हृदय बहुतेरे!

सूनी राहों पर, चल पड़ता है सहचर,
कोई राही, बन जाता है रहबर,
ये, जीवन के घेरे!
दो साँसों की, बहती दोराहों में,
बिछड़े बहुतेरे...

-पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

16 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (17-04-2020) को "कैसे उपवन को चहकाऊँ मैं?" (चर्चा अंक-3674) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

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  2. बिछुड़ना मिलना जीवन का अंग है और इसी में उपजती है कविता ..
    सुन्दर शब्दों में रची ...

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  3. सूनी राहों पर, चल पड़ता है सहचर,
    कोई राही, बन जाता है रहबर,
    ये, जीवन के घेरे!
    दो साँसों की, बहती दोराहों में,
    बिछड़े बहुतेरे..

    बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन ,सादर नमन आपको

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  4. मिलना बिछुड़ना जीवन जीने का एक अनकहा सच है जो मन कसकता भी है और सुकून भी देता है
    बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  5. गहन एहसास उकेरती सुंदर प्रस्तुति।

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    1. आभारी हूँ आदरणीया कुसुम जी।
      कतिपय कारणों से फेसबुक से दूर हूँ । फिर भी, ब्लॉग पर स्वप्रेरित होकर आपके आगमण हेतु साधुवाद ।
      फेसबुक ने तो, जैसे लेखकों को ब्लॉग जैसी निजी बौद्धिक सम्पदा के विकास की राह से दूर ही कर दिया है।
      अपने सभी साथियों के भी वापस ब्लॉग पर लौटने का इंतजार बना रहेगा। अन्यथा भी, मैं तो इक राह चुन ही चुका हूँ।
      ब्लॉग के विकास में सहयोग हेतु पुनः आभार।

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