Sunday, 5 April 2020

छू लेगी याद मेरी

जो होंगे, कुछ पल, तेरे सूने,
जब बिछड़ जाओगे, खुद से तुम,
तो आ जाएंंगी, मेरी यादें, 
अकले मेें, तुझे छूने!

संवर जाओगे, तुम तब भी,
निहारोगे, कोई दर्पण,
बालों को, सँवारोगे,
शायद, भाल पर, इक बिन्दी लगा लोगे,
सम्हाल कर, जरा आँचल,
सूरत को, निहारोगे,
फिर, तकोगे राह, 
तुम मेरी....

जो होंगे, कुछ पल, तेरे सूने!

अन-गिनत प्रश्न, करेगा मन!
उलझाएगा, सवालों में,
खोकर, ख़्यालों में,
शायद, आत्म-मंथन, तब तुम करोगे,
खुद को ही, हारोगे,
फिर, चुनोगे तुम,
राह मेरी....

जो होंगे, कुछ पल, तेरे सूने,
जब बिछड़ जाओगे, खुद से तुम,
तो आ जाएंंगी, मेरी यादें, 
अकले मेें, तुझे छूने!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

8 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना।

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  2. बहुत सुन्दर।
    हम सभी देशवासी मिल कर प्रधानमन्त्री की आवाज पर
    अपने घर के द्वार पर 9 मिनट तक एक दीप प्रज्वलित जरूर करें।

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    1. बिल्कुल सर, आज रात 9 बजे 9 मिनट के लिए एक दीप जरूर जलाएंगे हम।
      आपके स्वस्थ व दीर्घ जीवन की कामनाओं सहित आभार नमन।

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  3. संवर जाओगे, तुम तब भी,
    निहारोगे, कोई दर्पण,
    बालों को, सँवारोगे,
    शायद, भाल पर, इक बिन्दी लगा लोगे,
    सम्हाल कर, जरा आँचल,
    सूरत को, निहारोगे,
    फिर, तकोगे राह,
    तुम मेरी....
    बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना पुरुषोत्तम जी |किसी निष्ठुर के आगे अपना ही महत्व जताते भाव बहुत मार्मिक हैं | मनके सूक्ष्म भावों के शब्दाकन में आपका हुनर लाजवाब है हार्दिक शुभकामनाएं|

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  4. बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना।

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    1. हृदयतल से आभार आदरणीया ज्योति देहलीवाल जी।

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