दूर कहीं, तुम हो,
जैसे, चाँद कहीं, सफर में गुम हो!
गैर लगे, अपना ही मन,
हारे, हर क्षण,
बिसारे, राह निहारे,
करे क्या!
देखे, रुक-रुक वो!
दूर कहीं, तुम हो,
जैसे, चाँद कहीं, सफर में गुम हो!
तन्हा पल, काटे न कटे,
जागे, नैन थके,
भटके, रैन गुजारे,
करे क्या!
ताके, तेरा पथ वो!
दूर कहीं, तुम हो,
जैसे, चाँद कहीं, सफर में गुम हो!
इक बेचारा, तन्हा तारा,
गगन से, हारा,
पराया, जग सारा,
करे क्या!
जागे, गुम-सुम वो!
दूर कहीं, तुम हो,
जैसे, चाँद कहीं, सफर में गुम हो!
संग-संग, तुम होते गर,
तन्हा ये अंबर,
रचा लेते, स्वयंवर,
करे क्या!
हारे, खुद से वो!
दूर कहीं, तुम हो,
जैसे, चाँद कहीं, सफर में गुम हो!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)