Wednesday, 17 June 2020

याद तुझको किया

जब ताकती हो, शून्य को, मेरी आँखें,
रुक सी गई हों, ये मेरी, चंचल सी पलकें,
ठहरा वहीं हो, बादल गगन पे,
तो, समझना, वो तुम हो,
और, याद तुझको, मैंने किया है!

विचलित हो जब, कभी मन तुम्हारा,
जब लेना पड़े, तुम्हें तन्हाईयों का सहारा,
लगे कोई बुलाए, हलके-हलके,
तो, समझना, वो मैं हूँ,
और, याद तुझको, मैंने किया है!

जो झुक जाएँ, उन पर्वतों पे घटाएँ,
कहीं रुक कर पवन, भरे सर्द सी आहें,
राहों में, बिखरे हों टूट कर पत्ते,
तो, समझना, वो मैं हूँ,
और, याद तुझको, मैंने किया है!

आँखें सजल हो, कटता न पल हो,
कोई अश्रु-धार बन, बहता अविरल हो,
पराया लगे जब, एहसास सारे,
तो, समझना, वो मैं हूँ,
और, याद तुझको, मैंने किया है!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

8 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3736
    में दिया गया है। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  2. बादल ठहर जाये तो समझना तुम हो और मैं भी हूँ कहीं आस-पास ...
    ये करीबी महसूस होगी ... प्रेम की इन्तहा जब होगी ...

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीय

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  3. बढ़िया प्रस्तुति

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीय

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 17 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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