Friday, 26 March 2021

फागुनी बयार

संग तुम्हारे, सिमट आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!

कल तक न थी, ऐसी ये बयार,
गुमसुम सी, थी पवन,
न ही, रंगों में थे ये निखार,
ले आए हो, तुम्हीं, 
फागुनी सी, ये बयार!

संग तुम्हारे, निखर आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!

जीवंत हो उठी, सारी कल्पना,
यूँ, प्रकृति का जागना,
जैसे, टूटी हो कोई साधना,
पी चुकी हो, भंग,
सतरंगी सी, ये बयार!

संग तुम्हारे, बिखर आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!

तुम हो साथ, रंगों की है बात,
हर ओर, ये गीत-नाद,
मोहक, सिंदूरी सी ये फाग,
कर गई है, विभोर,
अलसाई सी, ये बयार!

संग तुम्हारे, उभर आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

22 comments:

  1. कल तक न थी, ऐसी ये बयार,
    गुमसुम सी, थी पवन,
    न ही, रंगों में थे ये निखार,
    ले आए हो, तुम्हीं,
    फागुनी सी, ये बयार...बहुत सुंदर रचना

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२७-०३-२०२१) को 'रंग पर्व' (चर्चा अंक- ४०१८) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  3. वाह ... ये रंग खिले रहें .

    तुम जो दिखे तो
    चेहरा गुलाल हो गया
    उदासी की पैहरन उतार
    बस मन खिल गया ...

    सुन्दर रचना ...

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    1. बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ ....रचना की आत्मा को जोड़ती हुई।
      हार्दिक धन्यवाद व विनम्र आभार आदरणीया।

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 26 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. विनम्र आभार। पटल पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय। ।।।

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  6. बहुत ही सुंदर सृजन, आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. विनम्र आभार। यह होली आपके जीवन को अंतहीन रंगों से सराबोर कर दे।।।।

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  7. सच में सतरंगी बयार भंग पी कर प्रकृति को रंग और गुलाल से विभोर कर रही है । मन फागमय हो रहा है । हार्दिक शुभकामनाएँ आनन्द को बिखेरने हेतु ।

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    1. विनम्र आभार। अंतहीन रंगों भरी शुभकामनाएँ ।।।।

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  8. बहुत ही बेहतरीन कविता, आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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    1. धन्यवाद संजय जी। आपको भी होली की अशेष शुभकामनाएँ

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  9. मन के अनुराग का सुंदर एहसास दर्शाती मोहक रचना।
    बहुत बहुत बधाई।
    रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी। आपको भी होली की अशेष शुभकामनाएँ

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  10. तुम हो साथ, रंगों की है बात,
    हर ओर, ये गीत-नाद,
    मोहक, सिंदूरी सी ये फाग,
    कर गई है, विभोर,
    अलसाई सी, ये बयार!.. फागुन के रंगों में डुबोती, प्रीत और प्रेम से सराबोर सुन्दर रचना ।

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    1. विनम्र आभार आदरणीया जिज्ञासा जी।

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