चल, होली है, पागल!
यूँ छेड़ न तू, तन्हा सा गजल.....नेह लिए प्राणों मे, दर्द लिए तानों में,
सहरा में, या विरानों में,
रंग लिए पैमानों में, फैला ले जरा आँचल,
चल, होली है, पागल!
आहट पर, हल्की सी घबराहट पर,
मन की, तरुणाहट पर,
मौसम की सिलवट पर, शमाँ जरा बदल,
चल, होली है, पागल!
यूँ छेड़ न तू, तन्हा सा गजल.....
विह्वल गीत लिए, अधूरा प्रीत लिए,
तन्हा सा, संगीत लिए,
विरह के रीत लिए, क्यूँ आँखें हैं सजल,
चल, होली है, पागल!
यूँ छेड़ न तू, तन्हा सा गजल.....
बरस जरा, यूँ ही मन को भरमाता,
बादल सा, लहराता,
इठलाता खुद पर, बस हो जा तू चंचल,
चल, होली है, पागल!
यूँ छेड़ न तू, तन्हा सा गजल.....
चल, होली है, पागल!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत सुंदर रचना बधाई हो आपको आदरणीय
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-03-2021) को "देख तमाशा होली का" (चर्चा अंक-4019) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सादर आभार आदरणीय
Deleteभिगो गयी मन को ये
ReplyDeleteरंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं आ0
आदरणीया अनीता सुधीर जी, होली की अशेष शुभकामनाओं सहित आभार। ।।।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीया ओंकार जी, होली की अशेष शुभकामनाओं सहित आभार।
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ReplyDeleteविह्वल गीत लिए, अधूरा प्रीत लिए,
तन्हा सा, संगीत लिए,
विरह के रीत लिए, क्यूँ आँखें हैं सजल,
चल, होली है, पागल!
यूँ छेड़ न तू, तन्हा सा गजल....बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना ।
आभारी हूँ आदरणीया। ।।।। बहुत-बहुत धन्यवाद। ।
Deleteवाह!
ReplyDeleteक्या बात!
विह्वल गीत लिए, अधूरा प्रीत लिए,
तन्हा सा, संगीत लिए,
विरह के रीत लिए, क्यूँ आँखें हैं सजल,
चल, होली है, पागल!
यूँ छेड़ न तू, तन्हा सा गजल.....
आदरणीया सधु जी, होली की अशेष शुभकामनाओं सहित आभार।
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