लो दोस्त......
गर, रिक्त हो चला हो,
तूणीर तेरा,
तेरी धमनियों में, ना थम रहा हो,
रक्त का, उठता थपेरा,
तीर ले लो, तुम ये भी मेरा,
बरसों से, पड़े है ये,
जंग खाए,
अपनों पर, जो मुझसे चल न पाए,
शायद, संभाल ले ये,
उबाल तेरा!
लो दोस्त......
फिर भी, ना थमे गर,
तेरा जिगर,
तीर सारे, हो चले जब बेअसर,
भर लेना, फिर तूणीर,
या, घोंप देना, कोई खंजर,
ना रहे, कोई कसर,
ना मलाल,
रक्त, शायद मेरा, बन उड़े गुलाल,
शायद, निकाल दे ये,
उबाल तेरा!
लो दोस्त......
तुम लो, सारी दुआएँ,
सलाम मेरा,
यूँ चमकता रहे, तेरा हर सवेरा,
पर ना, भूल जाना,
दिल ही तेरा, मेरा ठिकाना,
सदा ही, धड़कूंगा मैं,
ना रुकुंगा,
हृदय मध्य, तुमसे ही आ मिलूंगा,
शायद, संभाल ले ये,
उबाल तेरा!
लो दोस्त......
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ReplyDeleteतुम लो, सारी दुआएँ,
सलाम मेरा,
यूँ चमकता रहे, तेरा हर सवेरा,
पर ना, भूल जाना,
दिल ही तेरा, मेरा ठिकाना,
सदा ही, धड़कूंगा मैं,
ना रुकुंगा,
हृदय मध्य, तुमसे ही आ मिलूंगा,
शायद, संभाल ले ये,
उबाल तेरा!
लो दोस्त......वाह दोस्त के लिए नायाब लिख दिया आपने🌷
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया शकुन्तला गी।
Deleteजी बहुत सुन्दर। दोस्त को समर्पित एक-एक शब्द बहुत करीबी लगे। मेरे जीवन में भी दोस्त का स्थान सदैव ही प्रिय रहा है। इस रचना से दोस्ती का रिश्ता और बेहतर होगी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय प्रकाश जी।
Deleteवाह!बहुत सुंदर,भावपूर्ण रचना 👌
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आँचल जी।
Deleteबहुत सुंदर रचना "दोस्तो के नाम"...!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय शिवम जी।
Deleteनमस्कार आपका एक कमेंट हमारा हौसला बढ़ा देता है sir शुक्रिया । मैंने अभी आपकी रचनाएं पढ़ी नहीं है सो पढ़ने प्रतिक्रिया दूंगा ।
ReplyDeleteमनोज नायाब
09859913535
Kripya Apna Sampark Sutra preshit Karen m.no. pls
शुक्रिया आदरणीय मनोज जी।
Deleteमेरा मोबाइल/व्हाट्सअप नम्बर मेरे ब्लॉग के नीचे पहले से ही अंकित है।
🙏
पर ना, भूल जाना,
ReplyDeleteदिल ही तेरा, मेरा ठिकाना..वाह! बहुत खूब उद्बोधन सीधे दिल से निकलता और दिल को बेधता! बधाई और आभार।
विनम्र आभार आदरणीय विश्वमोहन जी। यूँ ही साथ बने रहें, एक दोस्त की भांति.....🙏🙏
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 09 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया दी।
Deleteतुम लो, सारी दुआएँ,
ReplyDeleteसलाम मेरा,
यूँ चमकता रहे, तेरा हर सवेरा,
पर ना, भूल जाना,
दिल ही तेरा, मेरा ठिकाना,
सदा ही, धड़कूंगा मैं,
ना रुकुंगा,
हृदय मध्य, तुमसे ही आ मिलूंगा,
शायद, संभाल ले ये,
उबाल तेरा!
वाह!!!
दोस्त के नाम बहुत ही उत्कृष्ट सृजन।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा देवरानी जी।
Deleteमित्र को मनाने का अन्दाज़ भी निराला है ।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति ।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया संगीता स्वरुप जी। आभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना दोस्त के नाम शुभकामनायें तमाम
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया भारती जी
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया मीना जी
Deleteतुम लो, सारी दुआएँ,
ReplyDeleteसलाम मेरा,
यूँ चमकता रहे, तेरा हर सवेरा,
पर ना, भूल जाना,
दिल ही तेरा, मेरा ठिकाना,
सदा ही, धड़कूंगा मैं,
ना रुकुंगा,
हृदय मध्य, तुमसे ही आ मिलूंगा,
शायद, संभाल ले ये,
उबाल तेरा!
कवि मन की आक्रांत अभिव्यक्ति पुरुषोत्तम जी। दोस्ती में वहीं सबसे ज्यादा छल मिलता है जहां हमारी निष्ठाऔरअपेक्षा सबसे ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में यहीं कहेगा मन। भावपूर्ण। रचना के लिए। बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐
जी, शुक्रिया आदरणीया रेणु जी।
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