Sunday, 19 September 2021

तन्हा न खोना

एकाकी, कट पाए कैसे पथ,
एकल रुक जाए ना, ये जीवन-रथ,
पल एकाकी, मन के चुन लेना,
तन्हा, यूँ न कहीं खोना!

चुन लेना, इसी राह, कोई अपना!

सांझ ढ़ले, यूँ कोई छाँव मिले,
दूर तलक, गगन तले, कोई संग चले,
साझा सा, कोई सपना, बुन लेना,
तन्हा, यूँ न कहीं खोना!

चुन लेना, इसी राह, कोई अपना!

न उलझाए, कहीं ढ़लते साए,
न मुरझाए, वो फूल जो खिल आए,
कुछ कसमें कुछ वादे, कर लेना,
तन्हा, यूँ न कहीं खोना!

चुन लेना, इसी राह, कोई अपना!

हिय यूँ डोले, डगमग-डगमग,
रुक जाए, कैसे, पल के चंचल पग,
फिर भी, धुन हिय के सुन लेना,
तन्हा, यूँ न कहीं खोना!

चुन लेना, इसी राह, कोई अपना!

संगी वही, फिर मिले न मिले,
गुजरे से, वो पल, उसी कल में ढ़ले,
कहीं उस पल में ही, रुक जाना,
तन्हा, यूँ न कहीं खोना!

चुन लेना, इसी राह, कोई अपना!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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