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Saturday, 20 February 2016

पिंजड़ा जीवन का

पिंजड़ा सामने खड़ा दिख रहा जीवन का,
कारावास इस जीवन की, तुझे खुद होगी झेलनी,
दीवार इस कारागार की, तू तोड़ नही पाएगा,
लिखा जो भी भाग्य में तेरे, सामने खुद ही आएगा।

व्यर्थ जाएगी युक्ति तेरी सारी मुक्ति की,
अवधि इस कारावास की, तुझको खुद पूरी है करनी,
कर्मों के अंबार लगे हैं, सामने जीवन के तेरे,
राहें भाग्य के रेखा की तेरी, कर्मो के रश्ते ही गुजरेगी।

मुँह फेर नही सकता तू जीवन के कर्मों से,
आजीवन ये कठोर कारावास सश्रम झेलनी है तुझको,
पुरस्कार या दंड? परिणाम यही पर तू पाएगा, 
मुक्ति तुझको इस पिंजरे से, तेरा "जीवन कलश" दे पाएगा।

Thursday, 7 January 2016

मुक्ति सृष्टि पार


तू सोचता क्या मुसाफिर?

सृष्टि के उस पार
तुझे है जाना,
मुक्ति तेरी वहाँ खड़ी है,
अनन्त राह तेरी उस ओर।

मुड़ कर तू वापस,
क्या देखता बार-बार?
अनन्त हसरतें तेरी,
खीचे तुझको पीछे हर बार,
हंदयअन्तस के आँखो की
असीम गहराई से तू देख,
कौन साथ खड़ा है तेरे?
जिसकी राह तू रहा निहार!

जीवन का अन्त ही,
ब्रम्ह का अचल सत्य,
चक्षु पटल खोल तू,
इस सच से मुँह न मोड़,
मोह माया धन जंजाल,
सब कुछ छोड़कर पीछे,
चला जा उस राह तू,
मुक्ति तेरी वहाँ छुपी है,
अनन्त ले जाए जिस ओर!

Tuesday, 5 January 2016

मौन ही मुक्ति

जीवन की तृष्णाओं से,
मुक्त न कोई हो पाया,
चक्रव्युह इस तृष्णा का,
जग में कोई तोड़ न पाया,
अवसान वेला बची न तृष्णा,
चिरनिद्रा आगोश मे लेकर,
मौन ही इनसे मुक्त करेगा!

अकेन्द्रित चेतन का द्वार,
जीते जी न खुल सकेगा,
जीवन गांठ खुला न तुझसे,
जीकर भी तू क्या करेगा,
चिर निद्रा की आएगी वेला,
उस दिन तू वो राह पकड़ेगा,
मौन ही तुझको मुक्त करेगा!

शब्दों से परे नाद तू बोलता,
संवेदना से परे हैं तेरे संवाद,
अहंकार, ईर्ष्या घेरे है तुृझको,
ईन पर तू कब विजय करेगा,
जीते जी तू क्या मानव बनेगा,
इक दिन तू भी वो राह पकड़ेगा,
मौन ही तुझको मुक्त करेगा!

Monday, 4 January 2016

बंधन मुक्त

मैं बंधन मुक्त हो जाऊँ।

मुक्त जीवन जाल से कर दो,
हृदय अन्तस् तेरा छू जाऊँ,
उत्कंठाओ को नव स्वर दे दूँ,
मर्म जीवन का समझ पाऊँ।

कल्पनाओं के मुक्त पंख दे दो,
उन्मुक्त पंछी बन ऊड़ जाऊँ,
ऊड़ बैठूं कभी हिमगिरि पर,
कभी वृक्ष विशाल चढ़ जाऊँ।

मुझको विशाल व्योम दे दो,
आभाओं के दीप बन जल जाऊँ,
रचना नवश्रृष्टि की कर पाऊँ।
मुक्त भव-बाधा से मैं हो जाऊँ।

मैं बंधन मुक्त हो जाऊँ।