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Tuesday, 1 March 2016

मोह भंग

मोह भंग हो चुका, अब जीने की तैयारी!

मोहिनी सूरत वो, मोहती मन जो,
जंजाल माया का हर लेती मन वो,
अंजान बंधन से कर देती विवश वो,
पर टूटा है अब मोह का पिंजड़ा वो|

मायावी हिरनी सी मोहलीला उसकी,
मोहपाश के वश में करती प्राण सबकी,
सींखचे इस पिंजड़े की बड़ी शख्त सी,
मोह बंधनों से दूर पर अब मैं मुक्त सी|

अनुबंध मोह की जीवन पर भारी,
शर्तें अनुबंध की जैेसे मरने की तैयारी,
मोहनी इन शर्तों की सूरत है न्यारी,
टूटे हैं वो शर्त जो जीवन पर हैं भारी|

मोह भंग हो चुका, अब जीने की तैयारी!

Saturday, 20 February 2016

पिंजड़ा जीवन का

पिंजड़ा सामने खड़ा दिख रहा जीवन का,
कारावास इस जीवन की, तुझे खुद होगी झेलनी,
दीवार इस कारागार की, तू तोड़ नही पाएगा,
लिखा जो भी भाग्य में तेरे, सामने खुद ही आएगा।

व्यर्थ जाएगी युक्ति तेरी सारी मुक्ति की,
अवधि इस कारावास की, तुझको खुद पूरी है करनी,
कर्मों के अंबार लगे हैं, सामने जीवन के तेरे,
राहें भाग्य के रेखा की तेरी, कर्मो के रश्ते ही गुजरेगी।

मुँह फेर नही सकता तू जीवन के कर्मों से,
आजीवन ये कठोर कारावास सश्रम झेलनी है तुझको,
पुरस्कार या दंड? परिणाम यही पर तू पाएगा, 
मुक्ति तुझको इस पिंजरे से, तेरा "जीवन कलश" दे पाएगा।