वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
फिर से, घिर आई है ये बदली,
वो खिल आई है, फिर जूही की कली,
इन हवाओं नें, फिर हौले से छुआ,
वो ही, कुछ कह रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
सर्द सा, हो चला है ये मौसम,
बिखर सी गई हैं, हर तरफ ये शबनम,
वो भींग कर, हँस रही हैं कलियाँ,
देख, वो ही हँस रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
कोई गीत, गा रही है ये पवन,
या उसी के, धुन की है ये नई सरगम,
थिरक उठा, है फिर ये सारा जहाँ,
वो ही, फिर गा रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
वो ना भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
फिर से, घिर आई है ये बदली,
वो खिल आई है, फिर जूही की कली,
इन हवाओं नें, फिर हौले से छुआ,
वो ही, कुछ कह रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
सर्द सा, हो चला है ये मौसम,
बिखर सी गई हैं, हर तरफ ये शबनम,
वो भींग कर, हँस रही हैं कलियाँ,
देख, वो ही हँस रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
कोई गीत, गा रही है ये पवन,
या उसी के, धुन की है ये नई सरगम,
थिरक उठा, है फिर ये सारा जहाँ,
वो ही, फिर गा रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा