आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
लताएँ झूमकर लहराती हैं जब शाखों पे,
नन्ही सी बुलबुल जब झूलती हैं लताओं पे,
लटकती शाखें जब फैलाती हैं अपनी बाहें,
बहारें जब-जब मिलने आती हैं बागों से,
चंचल हवाएँ जब टकराती हैं मेरे बालों से,
आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
गर्म हवाएँ उड़ाती हैं जब ये कण धूल के,
बदन छू जाती हैं जब तपती सूरज की किरणें,
साँसें हल्की गहरी सी निकलती हैं जब सीने से,
चुपके से सहला जाती हैं जब बारिश की बूँदें,
सिहरन भरे एहसास जब लाती हैं सर्द हवाएँ,
आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
जब गाती है कोयल कहीं गीत मिलन के,
बज उठती है शहनाई जब धड़कन के,
आँधी लेकर आती है जब सनसनाती हवाएँ,
आवाज निकलती है जब फरफराते पन्नों से,
पल तन्हाई के देती हैं जब खामोश सदाएँ,
आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
लताएँ झूमकर लहराती हैं जब शाखों पे,
नन्ही सी बुलबुल जब झूलती हैं लताओं पे,
लटकती शाखें जब फैलाती हैं अपनी बाहें,
बहारें जब-जब मिलने आती हैं बागों से,
चंचल हवाएँ जब टकराती हैं मेरे बालों से,
आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
गर्म हवाएँ उड़ाती हैं जब ये कण धूल के,
बदन छू जाती हैं जब तपती सूरज की किरणें,
साँसें हल्की गहरी सी निकलती हैं जब सीने से,
चुपके से सहला जाती हैं जब बारिश की बूँदें,
सिहरन भरे एहसास जब लाती हैं सर्द हवाएँ,
आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
जब गाती है कोयल कहीं गीत मिलन के,
बज उठती है शहनाई जब धड़कन के,
आँधी लेकर आती है जब सनसनाती हवाएँ,
आवाज निकलती है जब फरफराते पन्नों से,
पल तन्हाई के देती हैं जब खामोश सदाएँ,
आ जाती है हर बार बस इक याद तुम्हारी...........
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