On Karwa Chouth....few lines
प्रीत हो तो कैसी?
किरकिरी सी काजल लगे,
नैनों में सुरमा सहा ना जाए,
जिन नैनों में श्याम बसे,
वहाँ फिर दूजा कौन समाए...
प्रीत न कीजिये पंछी जैसी,
जल सूखे पनघट से उड़ जाए,
प्रीत तो कीजै मछली जैसी,
जल सूखे तलछट में मर जाए...
पतंगे सी भली प्रीत की रीत,
नित दिए संग जल जाए,
प्रीत क्या जाने वो छिपकली,
बुझे दीप कहीं छुप जाए...
राधा के ज्युँ जब प्रीत निभै,
मथुरा राधा मय हुई जाए,
जब प्रीत श्याम संग मीरा करै,
सुर प्रेम ग्रंथ की रच जाए....
प्रीत हो तो कैसी?
किरकिरी सी काजल लगे,
नैनों में सुरमा सहा ना जाए,
जिन नैनों में श्याम बसे,
वहाँ फिर दूजा कौन समाए...
प्रीत न कीजिये पंछी जैसी,
जल सूखे पनघट से उड़ जाए,
प्रीत तो कीजै मछली जैसी,
जल सूखे तलछट में मर जाए...
पतंगे सी भली प्रीत की रीत,
नित दिए संग जल जाए,
प्रीत क्या जाने वो छिपकली,
बुझे दीप कहीं छुप जाए...
राधा के ज्युँ जब प्रीत निभै,
मथुरा राधा मय हुई जाए,
जब प्रीत श्याम संग मीरा करै,
सुर प्रेम ग्रंथ की रच जाए....
करवा चौथ की ढेर सारी शुभकामनाएँ.....
No comments:
Post a Comment