मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
अगणित रावण, दहन किए आजीवन,
मनाई विजयादशमी, जब हुआ लंका दहन,
उल्लास हुआ, हर्षोल्लास हुआ,
मरा नहीं, फिर भी रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
हर वर्ष, नया स्वरूप धर आया रावण,
कर अट्टहास, करता मानवता पर परिहास,
कर नैतिक मूल्यों का, सर्वनाश,
अन्तःमन, ही बैठा रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
बदला चित्र, चरित्र ना बदला रावण,
बना एकानन, खुले आम घूमते हैं दशानन,
घृणित दुष्कर्म, करते ये ही जन,
विभत्स, कर्मों के ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
आज फिर, अट्टहास कर रहा रावण,
मन ही मन, मानवता पर हँस रहा रावण,
गुलाम है सब, मेरे ही आजीवन,
दंभ यही, भर रहा ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
लाख करो इनकी, प्रतीक का शमन,
चाहे अनंत बार करो, इस पुतले का दहन,
शमन न होंगे, ये वैचारिक रावण,
दंभ और दर्प, वाले ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
मन ही जननी, मन दुःख का कारण,
मार सकें गर, तो मारें अपने मन का रावण,
जीत सकें गर, तो जीत ले मन,
शायद, मर जाएंगे ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
अगणित रावण, दहन किए आजीवन,
मनाई विजयादशमी, जब हुआ लंका दहन,
उल्लास हुआ, हर्षोल्लास हुआ,
मरा नहीं, फिर भी रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
हर वर्ष, नया स्वरूप धर आया रावण,
कर अट्टहास, करता मानवता पर परिहास,
कर नैतिक मूल्यों का, सर्वनाश,
अन्तःमन, ही बैठा रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
बदला चित्र, चरित्र ना बदला रावण,
बना एकानन, खुले आम घूमते हैं दशानन,
घृणित दुष्कर्म, करते ये ही जन,
विभत्स, कर्मों के ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
आज फिर, अट्टहास कर रहा रावण,
मन ही मन, मानवता पर हँस रहा रावण,
गुलाम है सब, मेरे ही आजीवन,
दंभ यही, भर रहा ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
लाख करो इनकी, प्रतीक का शमन,
चाहे अनंत बार करो, इस पुतले का दहन,
शमन न होंगे, ये वैचारिक रावण,
दंभ और दर्प, वाले ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
मन ही जननी, मन दुःख का कारण,
मार सकें गर, तो मारें अपने मन का रावण,
जीत सकें गर, तो जीत ले मन,
शायद, मर जाएंगे ये रावण!
मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-10-2019) को "विजय का पर्व" (चर्चा अंक- 3483) पर भी होगी। --
ReplyDeleteसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--विजयादशमी कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं।
Deleteकितना सत्य है रचना में ...
ReplyDeleteएल मारो तो दस पैदा होते हैं क्योंकि ये कलयुग है ... आज का दौर है .... हर कोई कुछ करने के लिए अपना सत्य खोज उपजा लेता है ... पैदा कर लेता है ... विजयदशमी की बहुत शुभकामनायें ...
आपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
Deleteवाह, बहुत सुन्दर विश्लेषण!
ReplyDeleteपराक्रमी त्रिलोक विजेता,शिव तांडव रचयता, ४वेदो के ज्ञाता सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी - औषधियों का ज्ञाता, वाद्य यंत्रो का रचियता, जल प्रबंधन के रचियता, कुशल शासक - तेजस्वी पंडित वाले शिवभक्त महाराज़ लंकेश दशानन रावण के मोक्ष पर्व और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के विजय पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
विनय झा
आपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
Deleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 08 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना 9 अक्टूबर 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
Deleteसटीक सुन्दर।
ReplyDeleteमर कम रहे हैं ज्यादा पैदा हो रहे हैं अब रावण।
सच कहा आपने महोदय।
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
बहुत सटीक रचना है,
ReplyDeleteरावण अजेय है कभी नहीं मरेगा जब तक मानव की दानविय भावनाएं जिंदा रहेगी रावण रहेगा ।
अप्रतिम सृजन।
विजयादशमी हार्दिक शुभकामनाएं।
बिल्कुल सच।
Deleteआपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं आदरणीया ।
मन ही जननी, मन दुःख का कारण,
ReplyDeleteमार सकें गर, तो मारें अपने मन का रावण,
जीत सकें गर, तो जीत ले मन,
शायद, मर जाएंगे ये रावण!
बहुत ही सारगर्भित पंक्तियों के लिए साधुवाद 🙏
सधन्यवाद, आपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और सटीक रचना ,सादर नमन
ReplyDeleteसधन्यवाद, आपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं आदरणीया ।
Deleteदूजे के रावण को मारो पर अपने को पालो-पोसो
ReplyDeleteयही एक दिन तुमको शायद ऊंची कुर्सी दिलवाएगा.
सच ही है सर। "पर उपदेश कुशल बहुतेरे"
Deleteआपको एवं आपके परिवारजनों को विजयादशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं आदरणीया ।