कभी, चुन कर, मन के भावों को,
कभी, सह कर, दर्द से टीसते घावों को,
कभी, गिन कर, पाँवों के छालों को,
या पोंछ कर, रिश्तों के जालों को,
या सुन कर, अनुभव, खट्ठे-मीठे,
कुछ, लिखता हूँ हर बार!
फिर, सोचता हूँ, हर बार,
शायद, फिर से ना दोहराए जाएंगे,
वो दर्द भरे अफसाने,
शायद, अब हट जाएंगे,
रिश्तों से वो जाले,
फिर न आएंगे, पाँवों में वो छाले,
उभरेगी, इक सोंच नई,
लेकिन! हर बार,
फिर से, उग आते हैं,
वो ही काँटें,
वो ही, कटैले वन,
मन के चुभन,
वो ही, नागफनी, हर बार!
अधूरी, रह जाती हैं,
लिखने को,
कितनी ही बातें, हर बार!
फिर, चुन कर, राहों के काँटों को,
फिर, पोंछ कर, पाँवों से रिसते घावों को,
फिर, बुन कर, सपनों के जालों को,
देख कर, रातों के, उजालों को,
या, तोड़ कर, सारे ही मिथक,
कुछ, लिखता हूँ हर बार!
फिर भी, रह जाती हैं कितनी वजहें,
कितने ही सफहे,
कुछ, लिखने को हर बार!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 27 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!1200 वीं प्रस्तुति की शुभकामनाएँ कबूल फरमाएँ
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद दी।
Deleteलिखना जरूरी है जी।
ReplyDeleteलॉकडाउन में कलम डाउन नहीं होना चाहिए।
आपके आशीर्वचनों हेतु आभारी हूँ आदरणीय
Delete1200 वी रचना के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं, पुरुषोत्तम भाई। आपकी लेखनी इसी तरह निरंतर रहे...
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति जी, आपने मुझे भाई कहकर संबोधित किया, मन हर्षित हो गया। आपकी शुभकामनाओं हेतु आभारी हूँ ।
Deleteजिंदगी इसी का नाम है ... सुधार फिर और सुधार ... पूरा परफेक्ट कहाँ हो पता है इंसान ...
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय नसवा जी। आपकी प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ ।
Deleteआपको 1200 पोस्ट पूरी करने की हार्दिक शुभकामनाएं ,परमात्मा आपका सफर यूँ ही जारी रखे ,सादर नमन
ReplyDeleteआपकी शुभकामनाओं हेतु हार्दिक आभार आदरणीया कामिनी जी। इस सफर में आपके सहयोग हेतु आपका अभिनन्दन ।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28 -4 -2020 ) को " साधना भी होगी पूरी "(चर्चा अंक-3684) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Delete1200 पोस्ट पूर्ण करने के लिए हार्दिक बधाई ।यात्रा अनवरत चलती रहे .. ..अनंत शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteसादर।
आपकी शुभकामनाओं हेतु हार्दिक आभार आदरणीया पल्लवी जी। आपके निरंतर सहयोग हेतु आपका अभिनन्दन ।
Delete1200वीं रचना/पोस्ट के लिए शुभकामनाएं आपको ... सारे घाव उसी दिन भर पाते हैं शायद, जिस दिन आखिरी प्रेमिका गले लगाती है ...
ReplyDeleteआपकी शुभकामनाओं हेतु हार्दिक आभार आदरणीया सुबोध जी। इस सफर में आपके सहयोग हेतु आपका अभिनन्दन ।
Deleteजितना चिन्तन उतना ही लेखन...
ReplyDelete1200वीं पोस्ट की बधाई आपको ....आप पर और आपकी लेखनी पर माँ शारदे की कृपा बनी रहे....अनंत शुभकामनाएं।
आपकी शुभकामनाओं हेतु हार्दिक आभार आदरणीया सुधा देवरानी जी। निरंतर इस सफर में आपके सहयोग हेतु आपका अभिनन्दन ।
Deleteकभी, चुन कर, मन के भावों को,
ReplyDeleteकभी, सह कर, दर्द से टीसते घावों को,
कभी, गिन कर, पाँवों के छालों को,
या पोंछ कर, रिश्तों के जालों को,
या सुन कर, अनुभव, खट्ठे-मीठे,
कुछ, लिखता हूँ हर बार!.... अंतस को स्पर्श करता हृदय स्पर्शी सृजन आदरणीय सर... 1200वी पोस्ट हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ सर
आपकी शुभकामनाओं हेतु हार्दिक आभार आदरणीया अनीता जी। निरंतर इस सफर में आपके सहयोग हेतु आपका अभिनन्दन ।
Deleteआपकी कविता बहुत ही ,आदरणीय है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,1200 वी पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteशुभकामनाओं हेतु आभारी हूँ आदरणीया अनुराधा जी। विनम्र नमन।
Deleteबहुत सुंदर सृजन 👌
ReplyDelete1200 वे पोस्ट को पूरा करने पर आपको हार्दिक बधाई ढेरों शुभकामनाएँ आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
हार्दिक आभार आँचल जी।
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDelete1200 वीं पोस्ट के लिए आपको सादर अभिनंदन भाई...
याद है मुझे आपकी 800वीं पोस्ट जब आप के साथ दुर्घटना घटी थी। उन्हीं दिनों हमें आपका अंतर्जालीय सानिध्य प्राप्त हुआ था।दिन कितने जल्दी बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता । आपके लिए बहुत खुश हैं आपकी लेखनी लगातार इसी क्रम में अग्रसर होती रहे और एक नया आयाम स्थापित करे बस यही कामना है।ढ़ेरों शुभकामनाएं pk भाई।
सुधा बहन, इन कुछ शब्दों में आत्मीयता के अनगिनत हर्फ छुपे हैं । कौन कहता है कि संबंध सिर्फ़ खून या मिलने से ही बनते हैं ।
Deleteमुझे गर्व है तुम पर। सदा सुखी रहो।
तुम्हारी शुभकामनाएँ मेरे साथ हमेशा से है।