प्रीत का सागर हूँ छलक जाऊँगा नीर की तरह,
अंजान गीतों का साज हूँ बजता रहूँगा घुँघरुओं की तरह!
एक दिन,
खो जाऊँगा मैं,
धूंध बनकर,
इन बादलों के संग में!
मेरे शब्द,
जिन्दा रहेंगी फिर भी,
खुशबुओं सी रच,
साँसों के हर तार में!
बातें मेरी,
गुंजेगी शहनाईयों सी,
अंकित होकर,
दिलों की जज्बात में!
सदाएँ मेरी,
हवा का झौंका बन,
बिखर जाएंगी,
विस्मृति की दीवार में!
अक्श मेरी,
दिख जाएगी सामने,
दौड़ कर यादें मेरी,
मिल जाएंगी तुमसे गले!
परछाईं मेरी,
नजरों में समाएगी,
भूलना चाहोगे तुम,
मिल जाऊंगा मैं सुनसान मे!
निशानियाँ मेरी,
दिलों में रह जाएंगी
खो जाऊँगा कहीं,
मैं वक्त की मझधार में!
मुसाफिर हूँ, गुजर जाऊँगा मैं वक्त की तरह,
जाते-जाते दिलों में ठहर जाऊँगा मैं दरख्त की तरह!
अंजान गीतों का साज हूँ बजता रहूँगा घुँघरुओं की तरह!
एक दिन,
खो जाऊँगा मैं,
धूंध बनकर,
इन बादलों के संग में!
मेरे शब्द,
जिन्दा रहेंगी फिर भी,
खुशबुओं सी रच,
साँसों के हर तार में!
बातें मेरी,
गुंजेगी शहनाईयों सी,
अंकित होकर,
दिलों की जज्बात में!
सदाएँ मेरी,
हवा का झौंका बन,
बिखर जाएंगी,
विस्मृति की दीवार में!
अक्श मेरी,
दिख जाएगी सामने,
दौड़ कर यादें मेरी,
मिल जाएंगी तुमसे गले!
परछाईं मेरी,
नजरों में समाएगी,
भूलना चाहोगे तुम,
मिल जाऊंगा मैं सुनसान मे!
निशानियाँ मेरी,
दिलों में रह जाएंगी
खो जाऊँगा कहीं,
मैं वक्त की मझधार में!
मुसाफिर हूँ, गुजर जाऊँगा मैं वक्त की तरह,
जाते-जाते दिलों में ठहर जाऊँगा मैं दरख्त की तरह!