एहसास अंजान खुश्बु की पल पल,
खामोशी फैली दिल के प्रस्तर पर प्रतिपल,
फिजाओं में पल पल कैसी है हलचल.......!
भरम मन को हो रही हर पल आज किसकी.....?
अदृश्य अस्तित्व क्यों हर पल उसकी,
ध्वनि है यह किस मूक आकृति की,
गुंजित हो रही वादियाँ ध्वनि से किसकी,
भरम मन को हो रही हर पल आज किसकी......!
पत्तियों में पल पल ये सरसराहट कैसी,
सिहरन सी बदन में छुअन की कैसी,
जेहन में हर पल गूंजती ये आवाज कैसी,
एहसास नई जगी दिल मे आज कैसी.......!