Showing posts with label बावस्ता. Show all posts
Showing posts with label बावस्ता. Show all posts

Friday, 30 September 2016

बावस्ता

व्यस्तताओं के हाथों विवश होने के बावजूद,
कई जरूरतों से बावस्त हूँ मैं......

जरूरतों में सबसे ऊपर है मेरी सृजनशीलता,
सृजन की ऊर्जा ही तो है सृष्टि का वाहक,
कल्र्पनाओं के परे रचती है भंगिमाएँ,
रूबरू कराती है अनदेखे स्वप्नों के लहरों से,
दृष्टिगोचर होती है तब इक अलग ही दुनियाँ,
रचनाओं को जन्म देने लगती हैं सृजनशीलता....

बावस्त होता हूँ फिर मैं अनसुनी भावनाओं से,
कांटे भावनाओं के फूलों संग चुनकर,
रख लेता हूँ सृजनशीलता की धागों में गूँथकर,
निखर जाते हैं कांटे,संग फूलों के रहकर,
विहँसती जन्म लेती है फिर कोमल सी भावनाएँ,
कैद हो जाता हूँ मैं उन भावनाओं में बहकर......

जरूरत होती है फिर एहसासों को शक्ल देने की,
व्यस्तताओं में पिसे होते हैं एहसास के कण,
जज्बात बिखर से जाते हैं बिन अल्फाज,
कोशिश करता हूँ एहसासों को समझाने की,
शब्दों में समेट लेता हूँ उन बिखरे जज्बातों को,
बावस्त होता हूँ फिर मैं एहसासों के तरानों से.....

व्यस्तताओं के हाथों विवश होने के बावजूद,
कई जरूरतों से बावस्त हूँ मैं......