Tuesday, 19 February 2019

करार

ऐ बेकरार दिल, खो रहा है क्यूँ तेरा करार?
क्यूँ तुझे हुआ है, फिर किसी से प्यार?

भीगी है ये, आँखें क्यूँ,
यूँ फैलाए है पर, आसमां पे क्यूँ,
ना तू, इस कदर मचल,
आ जा, जमीं पे साथ चल,
मुझ पे कर ले, ऐतबार!

ऐ बेकरार दिल, खो रहा है क्यूँ तेरा करार?
क्यूँ तुझे हुआ है, फिर किसी से प्यार?

परेशान हैं, इतना क्यूँ,
हैरान इस कदर, ये तेरे नैन क्यूँ,
गुम है, बातों में खनक,
अधूरी सी, आँखों में ललक,
तू कर, काबू में करार!

ऐ बेकरार दिल, खो रहा है क्यूँ तेरा करार?
क्यूँ तुझे हुआ है, फिर किसी से प्यार?

धड़कनें हैं, तेज क्यूँ,
अन्तरमन तेरा, निस्तेज क्यूँ,
लड़खड़ाए से कदम,
छूट जाए न, कहीं तेरा दम,
एक, तू ही है मेरा यार!

ऐ बेकरार दिल, खो रहा है क्यूँ तेरा करार?
क्यूँ तुझे हुआ है, फिर किसी से प्यार?

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

18 comments:

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय दिग्विजय जी।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-02-2019) को "पाकिस्तान की ठुकाई करो" (चर्चा अंक-3253) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय |आज कल काफ़ी आशिकाना अंदाज में क़लम चल रही है सर |
    सादर

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    1. आभार आदरणीया । बिल्कुल सही कहा आपने। हमारे हलचल पाँच लिंकों के आनन्द का वर्तमान विषय ही "करार" है।

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  5. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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    1. सादर आभार आदरणीय कैलाश जी। आपका हार्दिक अभिनन्दन व स्वागत है मेरे ब्लॉग पर।

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  6. बासंती बयार सबके दिल का क़रार छीन रही है. मौसम का तकाज़ा है !

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय गोपेश जी।

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  7. अहसासो को बहुत ही संजीदगी से पिरोया है

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय संजय जी।

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  8. वाह बहुत खूब उम्दा रचना।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी।

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  9. बेहतरीन शब्दविन्यास... बहुत सुन्दर...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा देवरानी जी।

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