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Friday, 5 February 2016

मैं और मेरी संवेदना

मैं.......!
इच्छाओं से भरपूर इक शख्श हूँ मैं,
अपनी ही आशाओं से उद्वेलित अक्श हूँ मैं,
इंतजार मुझको इक मुक्कमल सुबह का,
मगर हर रात आने वाले चाँद से भी बेहद प्यार है!

मैं......!
वेदनाओं मे बंधा जीवन का अक्श हूँ मैं,
संसार की पीड़ा देख सर्वथा व्यथित शख्श हूँ मैं,
इंतजार मुझको इक उज्जवल जीवन का,
मगर जीवन की हर रंग से भी बेहद लगाव है!

मेरी नींद .................!
बेहद जरुरी है सेहत के लिए,
संतुलित सजग तीव्र मष्तिष्क के लिए!

मगर सपने .........!
नींद से भी ज्यादा तीमारदार,
सपना वेदना रहित सुखद संसार के लिए!

एक दिल, एक जाँ है मुझमे.....!

मैं.......!
एक ही शक्स हूँ मैं...भावुक, सहृदय कोमल, संवेदनशील।
फिर भी आईने में देखकर लगता है ....!
कितनी ही परछाइयों का मिश्रित अक्श हूँ मैं..........!