भरमाती, संग चली आई, वही पुरवाई!
कितनी ठंढ़ी सी, छुवन,
जागे, लाख चुभन,
वही रातें, वही सपने, फिर लिए आई,
भरमाए पुरवाई!
बांधे, अपनेपन के धागे,
संग, पीछे ही भागे,
वही खुश्बू, वही यादें, लिए चली आई,
भरमाए पुरवाई!
छोड़, सारे लाज शरम,
तोड़, मन के भरम,
राहें, पीपल सी वो बाहें, भरे अंगड़ाई,
भरमाए पुरवाई!
उड़ा ले जाए, दूर कहाँ,
संग, है कौन यहाँ,
धूँधला, वो जहाँ, हो जाए न, रुसवाई,
भरमाए पुरवाई!
कर दे, कभी नैन सजल,
यादों के, वो पल,
विह्वल कर जाए, वो धुन, वो शहनाई,
भरमाए पुरवाई!
चुन लाता, बिखरे मोती,
वो आशा-ज्योति,
चंचल, बहकी सी पवन, बड़ी सौदाई,
भरमाए पुरवाई!
भरमाती, संग चली आई, वही पुरवाई!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
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