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Saturday, 27 July 2024

पल

हँसते, गाते, कुम्हलाते,
कुछ पल, बस छलने को चल आते!

करती, उलझी सी कितनी बातें,
बेवश, लम्बी सी रातें,
ले कर सौगातें, तन्हाई की वो लम्हाते,
हम खुद को समझाते,
कुछ पल, बस छलने को चल आते!

हँसते, गाते, कुम्हलाते.....

दो वे पल, दो उस पल की बातें,
वो, किनको बतलाते,
मन के तहखाने, मन की, सारी बातें,
अनसुने ही रह जाते,
कुछ पल, बस छलने को चल आते!

हँसते, गाते, कुम्हलाते.....

पात-पात, पतझड़ में झर जाते,
दो पल, कुछ पछताते,
पल तीजे, डाल-डाल, फिर इठलाते,
पतझड़ तो यूं ही गाते,
कुछ पल, बस छलने को चल आते!

हँसते, गाते, कुम्हलाते,
कुछ पल, बस छलने को चल आते!