Friday, 20 November 2020

अभिभूत - 27 साल

नित, खुद होकर नत-मस्तक,
मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
अभिभूत कर गए तुम!

जितना भी जाना, तुझको कम ही जाना,
बस, फूलों सा, था तुझको मुरझाना,
नित शीष चढ़े, पाँव तक फिसले,
पाँव तले, गए नित कुचले,
फिर भी, हौले से, यूँ मुस्काकर,
वशीभूत कर गए तुम!

नित, खुद होकर नत-मस्तक,
मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
अभिभूत कर गए तुम!

चली इक अंजानी पथ, डगमग सी नैय्या,
तब पुरजोर चली थी, इक पुरवैय्या,
किस ओर कहाँ, हम बह निकले,
हाँथों में, मेरा ही हाथ लिए,
उमंग कई, आँचल में भर कर,
द्रवीभूत कर गए तुम!

नित, खुद होकर नत-मस्तक,
मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
अभिभूत कर गए तुम!

इक मैं था, अनमस्क, बेपरवा अल्हड़ सा,
बे-दिल, बे-खबर, बेजान, पत्थर सा,
जाने कैसे, पल में, सदियों गुजरे,
हम तो, बस यूँ ही थे ठहरे,
पलकों की, छाँव घनेरी देकर,
परिभूत कर गए तुम!

नित, खुद होकर नत-मस्तक,
मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
अभिभूत कर गए तुम!

नित समक्ष सवेरा, अंत क्यूँकर होता मेरा,
ढ़ला, रोज ही, तम सा, तमस अंधेरा,
क्षितिज के, खिल आने से पहले,
चिड़ियों के, गाने से पहले,
रुण-झुण, पायल की भर कर,
जड़ीभूत कर गए तुम!

नित, खुद होकर नत-मस्तक,
मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
अभिभूत कर गए तुम!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)
-----------------------------------------------------
24 नवम्बर, 2020: जब हम द्व्य 27 साल पूरा कर रहे होंगे। यह एक अनुभूति, अभिभूत किए जा रही है मुझे। हुए हम दो से चार, रचा इक छोटा सा संसार। 
संक्षिप्त, एक लघु जीवन-रचना, आशीष की अपेक्षाओं सहित, अपने पाठकों के लिए......

30 comments:

  1. आपने बहुत ही सुन्दर ढंग से जीवन संसार का वर्णन किया है, बहुत खूबसूरत

    ReplyDelete
  2. वाह! वाह! बहुत सुंदर पंक्तियाँ,सुंदर रचना।
    हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏

    ReplyDelete
  3. नित, खुद होकर नत-मस्तक,
    मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
    अभिभूत कर गए तुम!
    बहुत सुंदर कृति...।जीवन को परिपूर्ण बनाती एक मनमोहक कविता..।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..सादर..।

    ReplyDelete
  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२१-११-२०२०) को 'प्रारब्ध और पुरुषार्थ'(चर्चा अंक- ३८९८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  5. बहुत-बहुत बधाई हो।
    रचना बहुत सुन्दर रची है आपने।

    ReplyDelete
  6. वाह ! परस्पर प्यार और समर्पण हो तो ऐसा ही हो.
    शादी की सत्ताइसवीं सालगिरह आप दोनों को मुबारक हो !

    ReplyDelete
  7. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 21 नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  8. नित समक्ष सवेरा, अंत क्यूँकर होता मेरा,
    ढ़ला, रोज ही, तम सा, तमस अंधेरा,
    क्षितिज के, खिल आने से पहले,
    चिड़ियों के, गाने से पहले,
    रुण-झुण, पायल की भर कर,
    जड़ीभूत कर गए तुम!
    वाह! पुरुषोत्तम जी, कोई आत्मीयता और समर्पण को अभिव्यक्ति देना कोई आपसे सीखे। जीवन साथी के प्रति अनुराग भरी सशक्त, अभिनव सृजन। सुंदर चित्र रचना की शोभा में चार चाँद लगा रहे हैं। आपको और अनु जी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। जीवन में अपनों का साथ अटल रहे। पुनः बधाई🙏🙏 💐💐🌹🌹💐💐

    ReplyDelete
  9. नमस्कार स‍िन्हा साहब...नित, खुद होकर नत-मस्तक,
    मुझ पत्थर को, पावस में परिणत कर,
    अभिभूत कर गए तुम!...बहुत गहरी बात इतनी खूबसूरती से कह दी आपने

    ReplyDelete
  10. इक मैं था, अनमस्क, बेपरवा अल्हड़ सा,
    बे-दिल, बे-खबर, बेजान, पत्थर सा,
    जाने कैसे, पल में, सदियों गुजरे,
    हम तो, बस यूँ ही थे ठहरे,
    पलकों की, छाँव घनेरी देकर,
    परिभूत कर गए तुम!
    जीवन साथी के प्रेम और समर्पण को समर्पित मनोभाव एवं अनुराग से सजी बहुत ही प्रभावी एवं भावपूर्ण रचना...शादी की सत्ताइसवीं सालगिरह की बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  11. बधाई व शुभकामनाएं। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  12. सुन्दर रचना, शुभकामनाओं सह।

    ReplyDelete
  13. वाह सच अभिभूत कर गई आपकी यह रचना
    जीवन साथी के प्रति आपके ये सुंदर समर्पित भाव आपके जीवन में उनकी अहमियत को आपने कितने सुंदर ढंग से सृजित किया है।
    बहुत ही सुंदर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभ प्रभात, आपके इस सुन्दर शुभकामनाओं हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया।

      Delete
  14. वाह ! हृदयस्पर्शी रचना अशेष शुभकामनाएँ।
    परस्पर प्यार एवं समर्पण निरंतर बना रहे
    शादी की सत्ताइसवीं सालगिरह आप दोनों को मुबारक हो !

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभ प्रभात, आपके स्नेहमयी शुभकामनाओं हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया।

      Delete