है बात क्या?
पूछे है कोई, दिल से मेरे,
जीर्ण जज़्बातों के हैं,
हालात क्या?
सूनी ये सड़क है, न अन्दर धड़क है,
खोए, गुम-सुम से हैं, बड़े चुप-चुप से हैं,
ओढ़े हैं, खामोशियाँ!
जागे एहसासों के हैं, हालात क्या?
है बात क्या?
पूछे है कोई, दिल से मेरे,
जज्ब जज़्बातों के हैं,
हालात क्या?
आता नहीं, अब कोई इस मोड़ तक,
खुशियाँ नहीं, शहर के किसी छोड़ तक,
पसरी है, विरानियाँ!
भीगी साहिलों के हैं, हालात क्या?
है बात क्या?
पूछे है कोई, दिल से मेरे,
जज्ब जज़्बातों के हैं,
हालात क्या?
मुद्दतों हुए, तुम कहाँ, खुल कर हँसे,
आ किसी कैदखाने में, खुद ही हो फ॔से,
गुम है, जिन्दगानियाँ!
लुटे चैनो-भ्रम के हैं, हालात क्या?
है बात क्या?
पूछे है कोई, दिल से मेरे,
जज्ब जज़्बातों के हैं,
हालात क्या?
शर्मसार, कर ना जाएं, कल ये तुम्हें,
रूठकर, मुड़ ना जाएं, हाथों से ये लम्हे,
कैसी है, रुसवाईयाँ!
बीते लम्हातों के हैं, हालात क्या?
है बात क्या?
पूछे कोई, दिल से मेरे,
जीर्ण जज़्बातों के हैं,
हालात क्या?
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 06-11-2020) को "अंत:करण का आयतन संक्षिप्त है " (चर्चा अंक- 3877 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
सादर आभार आदरणीया
Deleteबेहतरीन।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय शिवम जी
Delete
ReplyDeleteशर्मसार, कर ना जाएं, कल ये तुम्हें,
रूठकर, मुड़ ना जाएं, हाथों से ये लम्हे,
कैसी है, रुसवाईयाँ!
बीते लम्हातों के हैं, हालात क्या?
वाह! बहुत सुंदर रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सधु जी
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 05 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया
Deleteहै बात क्या?
ReplyDeleteपूछे है कोई, दिल से मेरे,
जीर्ण जज़्बातों के हैं,
हालात क्या?
सूनी ये सड़क है, न अन्दर धड़क है,
खोए, गुम-सुम से हैं, बड़े चुप-चुप से हैं,
ओढ़े हैं, खामोशियाँ!
जागे एहसासों के हैं, हालात क्या?
वाह! बेहतरीन सृजन सर।
शुक्रिया आभार आदरणीया अनीता जी।
DeleteBahut hi Sundar laga.. Thanks..
ReplyDeleteदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
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हार्दिक आभार आदरणीय
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ReplyDeleteमुद्दतों हुए, तुम कहाँ, खुल कर हँसे,
आ किसी कैदखाने में, खुद ही हो फ॔से,
गुम है, जिन्दगानियाँ!
लुटे चैनो-भ्रम के हैं, हालात क्या?
बहुत खूब !
हार्दिक आभार आदरणीया
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