हाथ गहे, अब सोचे क्या! ओ अपरिचित!
माना, अपरिचित हैं हम-तुम,
पर, ये कब तक?
कुछ पल, या कि सदियों तक!
देखो ना, तुम आए जब, द्वार खुले थे सब!
सब्र के बांध, टूट चुके थे तब,
अ-परिचय कैसा?
नाहक में, ये संशय कब तक?
आओ बैठो, शंकित मन को, धीर जरा दो!
दुविधाओं को, तीर जरा दो,
आस जरा ले लो!
संशय में, पीड़ पले कब तक?
अब सोचे क्या, नव-परिचय की यह बेला?
दो हाथों की, इक गाँठ बना,
इक विश्वास जगा,
ये सांस चले, संग सदियों तक!
हर्ष रहे, नव-वर्ष मनें, परिचय की गाँठ बंधे,
चैन धरे, रहे फिर हाथ गहे,
कोई नवताल सुनें,
कुछ पल क्या? सदियों तक!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज 2 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
आभार आदरणीया
Deleteहर्ष रहे, नव-वर्ष मनें, परिचय की गाँठ बंधे,
ReplyDeleteचैन धरे, रहे फिर हाथ गहे,
कोई नवताल सुनें,
कुछ पल क्या? सदियों तक!
अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (03-01-2021) को "हो सबका कल्याण" (चर्चा अंक-3935) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नववर्ष-2021 की मंगल कामनाओं के साथ-
हार्दिक शुभकामनाएँ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार आदरणीय
Delete
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
03/01/2021 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
आभार आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया सर!
ReplyDelete🙏नववर्ष 2021 आपको सपरिवार शुभऔर मंगलमय हो 🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय माथुर जी। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।।
Deleteनववर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।
Deleteहर्ष रहे, नव-वर्ष मनें, परिचय की गाँठ बंधे,
ReplyDeleteचैन धरे, रहे फिर हाथ गहे,
कोई नवताल सुनें,
–बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति
उम्दा रचना
आदरणीया विभा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteबेहतरीन रचना आदरणीय 🙏
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो
आदरणीया अभिलाषा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteअत्यंत सुंदर भावों का शब्दांकन अति विशिष्ट है । वैसे चेतना के तल पर सब एक हैं बस परिचय भर करनी होती है । शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता तन्मय जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteवाह बहुत खूब!
ReplyDeleteसुंदर सृजन गूढ़ अर्थ समेटे।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं पुरुषोत्तम जी आपको पुरे परिवार सहित।
आदरणीया कुसुम जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व आपको भी नववर्ष की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति। अब सोचे क्या, नव-परिचय की यह बेला?
ReplyDeleteदो हाथों की, इक गाँठ बना,
इक विश्वास जगा,
ये सांस चले, संग सदियों तक!
आदरणीया शान्तनु सान्याल जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteवाह लाजबाव रचना,नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया भारती जी।
Deleteवाह!
ReplyDeleteगूढ़ता को समेटे
सुन्दर प्रस्तुति ।
सादर।
हार्दिक आभार आदरणीया सधु जी।
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