Friday, 1 January 2021

नव-परिचय

हाथ गहे, अब सोचे क्या! ओ अपरिचित!
माना, अपरिचित हैं हम-तुम,
पर, ये कब तक?
कुछ पल, या कि सदियों तक!

देखो ना, तुम आए जब, द्वार खुले थे सब!
सब्र के बांध, टूट चुके थे तब,
अ-परिचय कैसा?
नाहक में, ये संशय कब तक?

आओ बैठो, शंकित मन को, धीर जरा दो!
दुविधाओं को, तीर जरा दो,
आस जरा ले लो!
संशय में, पीड़ पले कब तक?

अब सोचे क्या, नव-परिचय की यह बेला?
दो हाथों की, इक गाँठ बना,
इक विश्वास जगा,
ये सांस चले, संग सदियों तक!

हर्ष रहे, नव-वर्ष मनें, परिचय की गाँठ बंधे,
चैन धरे, रहे फिर हाथ गहे,
कोई नवताल सुनें,
कुछ पल क्या? सदियों तक!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

26 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज 2 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

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  2. हर्ष रहे, नव-वर्ष मनें, परिचय की गाँठ बंधे,
    चैन धरे, रहे फिर हाथ गहे,
    कोई नवताल सुनें,
    कुछ पल क्या? सदियों तक!
    अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (03-01-2021) को   "हो सबका कल्याण"   (चर्चा अंक-3935)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    नववर्ष-2021 की मंगल कामनाओं के साथ-   
    हार्दिक शुभकामनाएँ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  4. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    03/01/2021 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  5. बहुत बढ़िया सर!
    🙏नववर्ष 2021 आपको सपरिवार शुभऔर मंगलमय हो 🙏

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय माथुर जी। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।।

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  6. नववर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।

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  7. हर्ष रहे, नव-वर्ष मनें, परिचय की गाँठ बंधे,
    चैन धरे, रहे फिर हाथ गहे,
    कोई नवताल सुनें,

    –बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति
    उम्दा रचना

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    1. आदरणीया विभा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  8. बेहतरीन रचना आदरणीय 🙏
    नववर्ष मंगलमय हो

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    1. आदरणीया अभिलाषा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  9. अत्यंत सुंदर भावों का शब्दांकन अति विशिष्ट है । वैसे चेतना के तल पर सब एक हैं बस परिचय भर करनी होती है । शुभकामनाएँ ।

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    1. आदरणीया अमृता तन्मय जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  10. वाह बहुत खूब!
    सुंदर सृजन गूढ़ अर्थ समेटे।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं पुरुषोत्तम जी आपको पुरे परिवार सहित।

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    1. आदरणीया कुसुम जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व आपको भी नववर्ष की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  11. सुन्दर अभिव्यक्ति। अब सोचे क्या, नव-परिचय की यह बेला?
    दो हाथों की, इक गाँठ बना,
    इक विश्वास जगा,
    ये सांस चले, संग सदियों तक!

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    1. आदरणीया शान्तनु सान्याल जी, बहुत-बहुत धन्यवाद व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  12. वाह लाजबाव रचना,नव वर्ष मंगलमय हो

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  13. वाह!
    गूढ़ता को समेटे
    सुन्दर प्रस्तुति ।
    सादर।

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