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Friday, 21 May 2021

लब खोल दो

बोल दो, अबोले बोल दो!
लब, खोल दो!

आज, चुप है क्यूँ ये चूड़ियाँ,
चुप है, क्यूँ पायल,
चुप, हो तुम,
सूने पल को, दो, बोल दो,
लब खोल दो!

छनन-छन, छनकते वो क्षण,
इठलाते से, वो घन,
बहती पवन,
ये, मौन कितने, बोल दो,
लब खोल दो!

पर्वतों पर, झुक रही वो घटा,
न्यारी सी, वो छटा,
विहँसता घटा,
दो बोल, ऐसे ही बोल दो,
लब खोल दो!

घड़ी भर, चैन पा ले, ये मन,
खनक ले, ये क्षण,
आवाज संग,
ये राज, है क्या, बोल दो,
लब खोल दो!

बोल दो, अबोले बोल दो!
लब, खोल दो!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)