Showing posts with label प्रशंसक. Show all posts
Showing posts with label प्रशंसक. Show all posts

Sunday, 12 December 2021

मैं प्रशंसक

वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!

ठगा सा मैं रहूं, ताकूं, उसे ही निहारूं,
ओढ़ लूं, रुपहली धूप वो ही,
जी भर, देख लूं, 
पल-पल, बदलता, इक रूप वो ही,
हो चला, उसी का मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!

वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!

समेट लूं, नैनों में, उसी की इक छटा,
उमर आई, है कैसी ये घटा!
मन में, उतार लूं,
उधार लूं, उस रुप की इक कल्पना,
अद्भुत श्रृंगार का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!

वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!

बांध पाऊं, तो उसे, शब्दों में बांध लूं,
लफ़्ज़ों में, उसको पिरो लूं,
प्रकल्प, साकार लूं,
उस क्षितिज पर बिखरता, रंग वो,
उसी तस्वीर का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!

वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)