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Monday, 23 April 2018

माँ शारदे

हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!
टूटे मन की इस वीणा को तू झंकार दे....
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...

हम खोए हैं, अंधकार में,
अज्ञानता के, तिमिर संसार में,
तू ज्ञान की लौ जला,
भूला हुआ हूँ, राह कोई तो दिखा,
मन में, प्रकाश का मशाल दे,
मुझे ज्ञान की, उजियार का उपहार दे....
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...

भटके हैं, स्वर इस कंठ में,
न ही सुर कोई, मेरे कुहुकंठ में,
तू सुर की नई सी तान दे,
बेस्वर सा हूँ, नया कोई इक गान दे,
तू स्वर का, मुझको ज्ञान दे,
सप्त सुरों की, अनुराग का उपहार दे....
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...

जीवन के, इस आरोह में,
डूबे रहे हम, काम मद मोह में,
तू प्रखर, मेरे विवेक कर,
इक नव विहान का, अभिषेक कर,
तू नव उच्चारित, आरोह दे,
मेरे अवरोह में, सम्मान का उपहार दे.....
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...

बुझता हुआ, इक दीप मैं,
प्रभाविहीन सा, इक संदीप मैं,
तू प्रभा को, प्रभात दे,
बुझते दिए की, लौ को प्रसार दे,
आलोकित सा विहान दे,
प्रभाविहीन मन में प्रभा का उपहार दे...
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...

हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!
टूटे मन की इस वीणा को तू झंकार दे....
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...