खत्म होता नहीं, ये सिलसिला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!
भींच लूं, कितनी भी, ये मुठ्ठियां,
समेट लूं, दोनों जहां,
फिर भी, यहां दामन, खाली ही मिला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!
खत्म होता नहीं, ये सिलसिला....
फिर भी, थामे हाथ सब चल रहे,
बर्फ माफिक, गल रहे,
बूंद जैसा, वो फिसल कर, बह चला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!
खत्म होता नहीं, ये सिलसिला....
खुश्बू, दो घड़ी ही दे सका फूल,
कर गया, कैसी भूल,
रंग देकर, बाग को, वहीं मिट चला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!
खत्म होता नहीं, ये सिलसिला....
बनता, फिर बिखरता, कारवां,
लेता, ठौर कोई नया,
होता, फिर शुरू इक सिलसिला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!
खत्म होता नहीं, ये सिलसिला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!
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