खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
तेरा ही मन है,
लेकिन!
बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
यदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
दबी सी, आह पड़ी होगी,
बरस पड़ेगी!
दर्द, तुझे ही होगा,
चाहो तो,
पहले,
टटोह लेना,
उजड़ा सा, तिनका-तिनका!
खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
तेरा ही दर्पण है,
लेकिन!
टूटा है किस कोने, जाना ही कब तूने,
मुख, भूले से, निहार ना लेना!
बिंब, कोई टूटी सी होगी,
डरा जाएगी!
पछतावा सा होगा,
चाहो तो,
पहले,
समेट लेना,
बिखरा सा, टुकड़ा-टुकड़ा!
खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
सुनसान पड़ा ये,
लेकिन!
विस्मित तेरे पल को, संजोया है उसने,
संज्ञान, कभी, उस पल की लेना!
गहराई सी, वीरानी तो होगी,
चीख पड़ेगी!
पर, एहसास जगेगा,
चाहो तो,
पहले,
संभाल लेना,
सिमटा सा, मनका-मनका!
खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
वाह..!
ReplyDeleteआभार आदरणीय शिवम जी।
Deleteबहुत सही..।सुंदर पंक्तियाँ...।
ReplyDeleteआभार आदरणीया जिज्ञासा जी।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 24 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार महोदय...
Deleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा मंगलवार ( 24-11-2020) को "विश्वास, प्रेम, साहस हैं जीवन के साथी मेरे ।" (चर्चा अंक- 3895) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
…
"मीना भारद्वाज"
आभार आदरणीया। ।।
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआभार आदरणीया ज्योति जी।
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।
Deleteविस्मित करती हुई ...अति सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अमृता तन्मय जी।
Deleteबेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
ReplyDeleteयदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
दबी सी, आह पड़ी होगी,
बरस पड़ेगी!---- बहुत सुन्दर |
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteबेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
ReplyDeleteयदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
दबी सी, आह पड़ी होगी,
बरस पड़ेगी!
दर्द, तुझे ही होगा...बहुत सुंदर सृजन।
शुक्रिया आदरणीया अनीता जी।
ReplyDeleteखाली सा,
ReplyDeleteकोई कोना तो होगा मन का!
तेरा ही मन है,
लेकिन!
बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,......बहुत सही!
शुक्रिया आदरणीया ॠतु शेखर जी। स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर।
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