Wednesday, 7 December 2022

पीपल सा पल

वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....

मन्द झौंके उनके, बड़े शीतल,
पत्तियों की, इक सरसराहट,
जैसे, बज उठे हों पायल,
मृदु सी छुअन उसकी, करे चंचल!

वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....

यूं भटका सा, इक पथिक मैं,
आकुल, हद से अधिक मैं,
जा ठहरूं, वहीं हर पल,
घनी सी छांव उसकी, करे घायल!

वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....

वो घोल दे, हवाओं में संगीत,
छेड़ जाए, सुरमई हर गीत,
तान वो ही, करे पागल,
हैं वो पल समेटे, कितने हलचल!

वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

16 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 08 दिसंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (8-12-22} को "घर बनाना चाहिए"(चर्चा अंक 4624) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद और हृदयतल से आभार आदरणीय ओंकार जी।।।।

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  4. पीपल के सान्निध्य में बिताए दो पल भी एक याद बनकर साथ रहते हैं, सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद और हृदयतल से आभार आदरणीया अनीता जी।।।।

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  5. पीपल की घनेरी छांव में बीते सुकून भरे पलों की सुन्दर बानगी --

    वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद और हृदयतल से आभार आदरणीया कविता रावत जी।।।।

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  6. यूं भटका सा, इक पथिक मैं,
    आकुल, हद से अधिक मैं,
    जा ठहरूं, वहीं हर पल,
    घनी सी छांव उसकी, करे घायल!
    बहुत उम्दा सृजन।
    सुन्दर शब्द विन्यास ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद और हृदयतल से आभार आदरणीया सुधा देवरानी जी।।।।

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  7. अक्सर मन को यादों के घने पीपल की छाँव में रुकना बहुत भला लगता है।एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति पुरुषोत्तम जी। शब्दनगरी की याद दिला गयी 🙏

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    1. कोटिशः नमन और हृदयतल से आभार आदरणीया रेणु जी।।।।

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  8. आदरणीय कुमार शर्मा जी ! नमस्कार !

    वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....
    पीपल सी घनी भाव भरी रचना ,बहुत अभिनन्दन !
    जय श्री कृष्ण !

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय तरुण जी

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