यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यहीं सांझ, यहीं सवेरा!
भटक जाता हूँ, कभी...
उड़ जाता हूँ, मानव जनित, वनों में,
सघन जनों में, उन निर्जनों में,
है वहाँ, कौन मेरा?
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
यहाँ बुलाए, डाल-डाल,
पुकारे पात-पात, जगाए हर प्रभात,
स्नेहिल सी लगे, हर एक बात,
है यही, जहान मेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
सुखद कितनी, छुअन,
छू जाए मन को, बहती सी ये पवन,
पाए प्राण, यहीं, निष्प्राण तन,
मेरे साँसों का ये डेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
डर है, आए न पतझड़,
पड़ न जाए, गिद्ध-मानव की नजर,
उजड़े हुए, मेरे, आशियाने पर,
अधूरा है अनुष्ठान मेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
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