यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यहीं सांझ, यहीं सवेरा!
भटक जाता हूँ, कभी...
उड़ जाता हूँ, मानव जनित, वनों में,
सघन जनों में, उन निर्जनों में,
है वहाँ, कौन मेरा?
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
यहाँ बुलाए, डाल-डाल,
पुकारे पात-पात, जगाए हर प्रभात,
स्नेहिल सी लगे, हर एक बात,
है यही, जहान मेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
सुखद कितनी, छुअन,
छू जाए मन को, बहती सी ये पवन,
पाए प्राण, यहीं, निष्प्राण तन,
मेरे साँसों का ये डेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
डर है, आए न पतझड़,
पड़ न जाए, गिद्ध-मानव की नजर,
उजड़े हुए, मेरे, आशियाने पर,
अधूरा है अनुष्ठान मेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
सुखद कितनी, छुअन,
ReplyDeleteछू जाए मन को, बहती सी ये पवन,
पाए प्राण, यहीं, निष्प्राण तन,
मेरे साँसों का ये डेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा...सुंदर पंक्तियां सुंदर रचना
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति । मानव हर जगह अति किये जा रहा है । कभी तो भुगतना होगा ।
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (6-7-21) को "जब ख़ुदा से लो लगाई जाएगी "(चर्चा अंक- 4117) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
विनम्र आभार आदरणीया
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ReplyDeleteडर है, आए न पतझड़,
पड़ न जाए, गिद्ध-मानव की नजर,
उजड़े हुए, मेरे, आशियाने पर,
अधूरा है अनुष्ठान मेरा!
यही चमन, बस यही आशियाँ मेरा,
यही सांझ, यहीं सवेरा!
बहुत सुन्दर
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर और गहन अभिव्यक्ति!!! बधाई और आभार।
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीय विश्वमोहन जी।
Deleteडर है, आए न पतझड़,
ReplyDeleteपड़ न जाए, गिद्ध-मानव की नजर,
उजड़े हुए, मेरे, आशियाने पर,
अधूरा है अनुष्ठान मेरा!
क्या बात है पुरुषोत्तम जी | मानव सबसे डरावना जीव है धरा पर | उसकी महत्वाकांक्षाओं के चलते जीवजंतुओं की जो हानि हुई उसके सही आंकड़े शायद मौजूद नहीं |यदि किसी पक्षी को जुबान मिल जाये तो इन्हीं शब्दों में अपनी वेदना और भय व्यक्त करे | एक सशक्त रचना जो अबोले प्राणियों के दर्द का एहसास कराती हुई करुणा में भिगोती है | हार्दिक शुभकामनाएं मानवीय संवेदनाओं को उकेरते सृजन के लिए |
अभिनन्दन व विनम्र आभार आदरणीया रेणु जी।
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