चलो ना, तन्हाई में कहीं, कुछ देर जरा....
मन को चीर रही, ये शोर, ये भीड़,
हो चले, कितने, ये लोग अधीर,
हर-क्षण है रार, ना मन को है करार,
क्षण-भर न यहाँ, चैन जरा!
चलो ना, तन्हाई में कहीं, कुछ देर जरा....
सुई सी चुभे, कही-अनकही बातें,
मन में ही दबी, अनकही बातें,
कैसे, कर दूँ बयाँ, दर्द हैं जो हजार,
समझा, इस मन को जरा!
चलो ना, तन्हाई में कहीं, कुछ देर जरा....
वो छाँव कहाँ, मिले आराम जहाँ,
वो ठाँव कहाँ, है शुकून जहाँ,
नफ़रतों की, चली, कैसी ये बयार,
बहला, मेरे मन को जरा!
चलो ना, तन्हाई में कहीं, कुछ देर जरा....
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)