भूल कर, ये पल,
हम तलाशते रहे, वो कल!
कहीं, गौण वर्त्तमान,
मौन, अंजान!
इधर मुझे, ढ़ूँढ़ते रहे, कई पल,
करते, मेरा इन्तजार,
तन्हा, बेजार,
ठहरे, वो अब भी वहीं!
इन्हीं बेजार से, पलों के, मध्य,
कहीं, गौण वर्त्तमान,
मौन, अंजान,
संग, भविष्य भी वहीं!
पनपे, घने कुंठाओं के अरण्य,
हुई, रौशनी नगण्य,
चाहतें अनन्य,
कहीं, भटक रही वहीं!
क्यूँ ना मैं, जी लूँ ये पल यहीं,
वो कल तो है यही,
जीवंतता लिए,
मुझे सींचती, पल यही!
भूल कर, ये पल,
हम तलाशते रहे, वो कल!
कहीं, गौण वर्त्तमान,
मौन, अंजान!
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