चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!
बुनती गई मेरा ही मन, उलझा गई मुझको,
कोई छवि, करती गई विस्मित,
चुप-चुप अपलक गुजारे, पल असीमित,
गूढ़ कितनी, है उसकी बातें!
चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!
बहाकर ले चला, समय का विस्तार मुझको,
यूँ ही बह चला, पल अपरिमित,
बिखेरकर यादें कई, हुआ वो अपरिचित,
कल, पल ना वो बिसरा दे!
चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!
ऐ समय, चल तू संग-संग, थाम कर मुझको,
तू कर दे यादें, इस मन पे अंकित,
दिखा फिर वो छवि, तू कर दे अचंभित,
यूँ ना बदल, तू अपने इरादे!
चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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तस्वीर में, मेरी पुत्री ... कुछ पलों को चुनती हुई