यूँ बन्दगी में.....
जरा सा, सर झुका लेना, ऐ हवाओं,
गुजरना, जब मेरी गली से!
ऐ हवाओं! झूल जाती हैं पत्तियाँ,
शाखें, टूट जाते हैं यहाँ,
धूल, जम जाती हैं दरमियाँ,
बस, खता माफ करना,
भूल जाना, जफा,
याद रख लेना पता, सर झुका लेना!
यूँ बन्दगी में.....
ऐ हवाओं! जल न जाए चिंगारी,
बुझी है जो, आग सारी,
न टूट जाए, फिर ये खुमारी,
बस, जरा एहसास देना,
साँस, भर जाना,
हौले से बह जाना, सर झुका लेना!
यूँ बन्दगी में.....
ऐ हवाओं! रुख ना तुम बदलना,
छुवन, ये सहेज रखना,
खल न जाए, कमी तुम्हारी,
बस, परवाह कर लेना,
प्रवाह, दे जाना,
ठहर जाना कभी, सर झुका लेना!
यूँ बन्दगी में.....
जरा सा, सर झुका लेना, ऐ हवाओं,
गुजरना, जब मेरी गली से!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
जरा सा, सर झुका लेना, ऐ हवाओं,
गुजरना, जब मेरी गली से!
ऐ हवाओं! झूल जाती हैं पत्तियाँ,
शाखें, टूट जाते हैं यहाँ,
धूल, जम जाती हैं दरमियाँ,
बस, खता माफ करना,
भूल जाना, जफा,
याद रख लेना पता, सर झुका लेना!
यूँ बन्दगी में.....
ऐ हवाओं! जल न जाए चिंगारी,
बुझी है जो, आग सारी,
न टूट जाए, फिर ये खुमारी,
बस, जरा एहसास देना,
साँस, भर जाना,
हौले से बह जाना, सर झुका लेना!
यूँ बन्दगी में.....
ऐ हवाओं! रुख ना तुम बदलना,
छुवन, ये सहेज रखना,
खल न जाए, कमी तुम्हारी,
बस, परवाह कर लेना,
प्रवाह, दे जाना,
ठहर जाना कभी, सर झुका लेना!
यूँ बन्दगी में.....
जरा सा, सर झुका लेना, ऐ हवाओं,
गुजरना, जब मेरी गली से!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२० -०१-२०२० ) को "बेनाम रिश्ते "(चर्चा अंक -३५८६) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Delete
ReplyDeleteऐ हवाओं! रुख ना तुम बदलना,
छुवन, ये सहेज रखना,
खल न जाए, कमी तुम्हारी,
बस, परवाह कर लेना,
प्रवाह, दे जाना,
ठहर जाना कभी, सर झुका लेना
अदभुत सृजन ,सादर नमन आपको
इस सुंदर प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीया ।
Deleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteहवा अगर हमारे इशारे पर बहती और चलती,
हमारा कहा सुनती,
तो फिर रोना ही क्या था?
सदैव आभारी हूँ आदरणीय।
Deleteकमाल का सृजन
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