धुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
ओझल थे हम, गुम थे तुम!
वैसे, कौन भला, धुँधली सी राह चला,
जब, उजली सी, किरणों ने छला,
भरोसा, उन धुँधलाते सायों पर क्या!
इक धुंधलाते, काया थे हम,
गुम होती, परछाईं तुम!
तुम से मिलकर, इक उम्मीद जगी थी,
धुंधली राहों पर, आस जगी थी,
पर बोझिल थे पल, होना था ओझल!
धूँध भरे इक, बादल थे हम,
इक भींगी, मौसम तुम!
अब भी पथराई आँखें, तकती हैं राहें,
धुंधलाऐ से पथ में, फैलाए बाहें,
धुंधला सा इक सपना, बस है अपना!
उन सपनों में, खोए से हम,
और अधूरा, स्वप्न तुम!
धुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
ओझल थे हम, गुम थे तुम!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ReplyDeleteतुम से मिलकर, इक उम्मीद जगी थी,
धुंधली राहों पर, आस जगी थी,
पर बोझिल थे पल, होना था ओझल!
धूँध भरे इक, बादल थे हम,
इक भींगी, मौसम तुम....उम्दा रचना
शुक्रिया आभार आदरणीया
Deleteधुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
ReplyDeleteओझल थे हम, गुम थे तुम!...वाह!!!
शुक्रिया आदरणीय विश्वमोहन जी। आभार।।।।
Deleteवाह..🌻
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीय शिवम जी।
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteशुक्रिया, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-07-2021को चर्चा – 4,133 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 22 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteधुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
ReplyDeleteओझल थे हम, गुम थे तुम!
बहत बढिया पुरुषोत्तम जी |
प्रतीक्षा में भाव विहल मन की व्यथा कथा !!!!
शुक्रिया आदरणीया रेणु जी....बहुत-बहुत धन्यवाद। ।।।।।
Deleteबहुत बढ़िया लिखा। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया सुजाता प्रिये जी।
Deleteतुम से मिलकर, इक उम्मीद जगी थी,
ReplyDeleteधुंधली राहों पर, आस जगी थी,
पर बोझिल थे पल, होना था ओझल!
धूँध भरे इक, बादल थे हम,
इक भींगी, मौसम तुम!
बहुत ही बेहतरीन सृजन!
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया मनीषा गोस्वामी जी...आभारी हूँ। ।।।।
Deleteप्रतीक्षारत रहती काया
ReplyDeleteधुँधलाती राहों पर कौन आया ?
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
वैसे मैं धुँधलाते राहों और धुँधलाते काया पर अटक गई हूँ ,
यहाँ दोनो जगह धुँधलाती आना चाहिए था ,ऐसा मुझे लगता है , बाकी और विद्वजन बताएँ ।
शुक्रिया आभार आदरणीया
Deleteबढ़िया अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया, हार्दिक स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर। ।।।।
Deleteकितनी खूबसूरती से प्रतीक्षारत ह्रदय के भाव उकेरे हैं !!
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया अनुपमा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। ।।
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया। ।।।
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