Wednesday, 21 July 2021

धुंधलाते राह

धुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
ओझल थे हम, गुम थे तुम!

वैसे, कौन भला, धुँधली सी राह चला,
जब, उजली सी, किरणों ने छला,
भरोसा, उन धुँधलाते सायों पर क्या!
इक धुंधलाते, काया थे हम,
गुम होती, परछाईं तुम!

तुम से मिलकर, इक उम्मीद जगी थी,
धुंधली राहों पर, आस जगी थी,
पर बोझिल थे पल, होना था ओझल!
धूँध भरे इक, बादल थे हम,
इक भींगी, मौसम तुम!

अब भी पथराई आँखें, तकती हैं राहें,
धुंधलाऐ से पथ में, फैलाए बाहें, 
धुंधला सा इक सपना, बस है अपना!
उन सपनों में, खोए से हम,
और अधूरा, स्वप्न तुम!

धुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
ओझल थे हम, गुम थे तुम!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

26 comments:


  1. तुम से मिलकर, इक उम्मीद जगी थी,
    धुंधली राहों पर, आस जगी थी,
    पर बोझिल थे पल, होना था ओझल!
    धूँध भरे इक, बादल थे हम,
    इक भींगी, मौसम तुम....उम्दा रचना

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  2. धुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
    ओझल थे हम, गुम थे तुम!...वाह!!!

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    1. शुक्रिया आदरणीय विश्वमोहन जी। आभार।।।।

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    1. शुक्रिया, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-07-2021को चर्चा – 4,133 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 22 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  6. धुंधलाते राहों पर, आ न सके तुम,
    ओझल थे हम, गुम थे तुम!
    बहत बढिया पुरुषोत्तम जी |
    प्रतीक्षा में भाव विहल मन की व्यथा कथा !!!!

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    1. शुक्रिया आदरणीया रेणु जी....बहुत-बहुत धन्यवाद। ।।।।।

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  7. बहुत बढ़िया लिखा। हार्दिक बधाई।

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    1. शुक्रिया आदरणीया सुजाता प्रिये जी।

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  8. तुम से मिलकर, इक उम्मीद जगी थी,
    धुंधली राहों पर, आस जगी थी,
    पर बोझिल थे पल, होना था ओझल!
    धूँध भरे इक, बादल थे हम,
    इक भींगी, मौसम तुम!
    बहुत ही बेहतरीन सृजन!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया मनीषा गोस्वामी जी...आभारी हूँ। ।।।।

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  9. प्रतीक्षारत रहती काया
    धुँधलाती राहों पर कौन आया ?
    बेहतरीन अभिव्यक्ति ..

    वैसे मैं धुँधलाते राहों और धुँधलाते काया पर अटक गई हूँ ,
    यहाँ दोनो जगह धुँधलाती आना चाहिए था ,ऐसा मुझे लगता है , बाकी और विद्वजन बताएँ ।

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    1. शुक्रिया आभार आदरणीया, हार्दिक स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर। ।।।।

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  11. कितनी खूबसूरती से प्रतीक्षारत ह्रदय के भाव उकेरे हैं !!

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    1. शुक्रिया आदरणीया अनुपमा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। ।।

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  12. बेहतरीन अभिव्यक्ति

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