फिर, करूँ जरा, जिक्र आपका!
झील सी, दो नीली आँखें,
झुकी, पर्वतों पर, अलसाई सी पलकें,
कजराए नैनों में, नींदों के पहरे,
कुछ, तुझे कहने से पहले,
जिक्र थोड़ा,
बादलों का, कर लूँ!
फिर, करूँ जरा, जिक्र आपका!
अधखुली सी, दो पंखुड़ी,
फिर, करूँ जरा, जिक्र आपका!
अधखुली सी, दो पंखुड़ी,
किसी शाख पर, विहँस कर, हों पड़ी,
यूँ भींग कर, हो रही शबनमी,
कुछ, तुझे कहने से पहले,
जिक्र थोड़ा,
गुलाबों का, कर लूँ!
फिर, करूँ जरा, जिक्र आपका!
आभामयी, जैसे चांदनी,
अक्स, ज्यूँ अंधेरों में, प्रदीप्त रौशनी,
जली अनवरत, दीये की नमीं,
कुछ, तुझे कहने से पहले,
जिक्र थोड़ा,
पूजा का, कर लूँ!
फिर, करूँ जरा, जिक्र आपका!
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