Saturday, 2 April 2016

इबादत की शिद्दत

ख्यालों में उनके है तस्वीर कोई!
मगर कौन वो? दिखती कहाँ लेकिन सूरत है उसकी?

शिद्दत तो दिखती है इबादत में उनकी,
एहसास भी कुछ भीगे से जज्बातों मे उनकी,
पर शोहबत कहाँ है हकीकत में उनकी।

उमरता हुआ इक लहर उधर दिख रहा है,
बेकरारी भी दिखती उमरते लहर की रवानियों में,
पर साहिल से मिलने की नीयत कहाँ है।

उन फूलों में दिखती है खिलने की चाहत,
खुशबु भी कुछ भीनी कोमल पंखुड़ियो में उसकी,
पर कुचली सी पूजा की चाहत है उसकी।

हो न हो, शिद्दत तो दिखती है इबादत में उनकी......!

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