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Monday, 9 August 2021

बहता किनारा

पिघलते सांझ सा, बहता किनारा,
कब, हो सका हमारा!

पर, गुजारे हैं, पल, सारे यहीं,
रख चले, बुनकर, सपनों के सारे, धागे यहीं,
पर, देखती कहाँ, पलट कर?
भागते, वो धारे,
बहा ले जाती, इक उम्र सारा!

पिघलते सांझ सा, बहता किनारा,
कब, हो सका हमारा!

पलटकर, लौट आती है रोज,
बरबस, भर एक आलिंगन, करती है बेवश,
पिघलता, वो रुपहला पहर,
डूबते, वो सहारे,
जैसे, कर जाते हैं.. बेसहारा!

पिघलते सांझ सा, बहता किनारा,
कब, हो सका हमारा!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Friday, 8 May 2020

उड़ चले विहग

उड़ चले विहग, क्षितिज पे कहीं दूर!

उन्हीं, असीम सी, रिक्तताओं में,
हैं कुछ, ढ़ूंढ़ने को मजबूर,
मुट्ठी भर आसमां, कहीं गगन पे दूर,
या, अपना, कोई आकाश,
लिए, अंतहीन सा, इक तलाश!

उड़ चले विहग, क्षितिज पे कहीं दूर!

गुम हैं कहीं, पंछियों के कलरव,
कहीं दूर जैसे, उन से हैं रव,
शून्य में घुला, वो गगन का किनारा,
जैसे, संगीत ही हो बेसहारा,
लिए, कलरव में, सुर की तलाश!

उड़ चले विहग, क्षितिज पे कहीं दूर!

अपनी समझ, अपनी विवशता,
मन में दबाए, एक चिन्ता,
घिर कर, आपदाओं में, बिखरे सदा,
फिर से, न लौटने को विवश,
लिए, दुख में, इक सुख की आश!

उड़ चले विहग, क्षितिज पे कहीं दूर!

आसमाँ की, उन्हीं, गहराईयों में,
ढ़ूंढ़ने को, फिर से, चन्द्रमा,
अंधियारे क्षणों में, उजालों के क्षण,
हताशा में, आशा का आंगन,
लिए, अनबुझ सी, वो ही प्यास!

उड़ चले विहग, क्षितिज पे कहीं दूर!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Sunday, 3 November 2019

पराई साँस

मन-मर्जी ये साँस की, वो चले या रुके!

हूँ सफर में, साँसों के शहर में!
इक, पराए से घर में!
पराई साँस है, जिन्दगी के दो-पहर में!
चल रहा हूँ, जैसे बे-सहारा,
दो साँसों का मारा,
पर भला, कब कहा, मैंने इसे!
तू साथ चल!

मन-मर्जी ये साँस की, वो चले या रुके!

बुलाऊँ क्यूँ, उसको सफर में!
अंजाने, इस डगर में!
पराया देह है, क्यूँ परूँ मैं इस नेह में!
बंध दो पल का, ये हमारा,
दो पल का नजारा,
टोक कर, कब कहा, मैने उसे,
तू साथ चल!

मन-मर्जी ये साँस की, वो चले या रुके!

चले वो, अपनी मर्जी के तले!
इक, अपनी ही धुन में!
अकारण प्रेम, पनपाता है वो मन में!
हूँ इस सफर का, मैं बंजारा,
दे रहा ये मौत पहरा,
इस प्रवाह को, मैने कब कहा,
तू साथ चल!

मन-मर्जी ये साँस की, वो चले या रुके!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा