छद्म-एहसास या इक विश्वास,
फिर कितने पास, ले आया है नीलाभ-नभ!
सीमा-विहीन शून्यता, अंतहीन आकाश,
नीलाभ सा, वो रिक्त आभास,
यहीं-कहीं तुम्हारे होने का, छद्म-एहसास,
शून्य सा, वो ही लम्हा,
खाली-खाली ही, पर भरा-भरा,
इक विश्वास, पास, ले आया है नीलाभ नभ!
ये दिशाएं बाहें फैलाए, कुछ कहना चाहे,
शून्य में, भटकती वो आवाज,
रंगमच पर, दृष्टिगोचर होते बजते साज,
छंद-युक्त, पर चुप-चुप,
थिरकता पल, पर ठहरा-ठहरा,
इक विश्वास, पास, ले आया है नीलाभ नभ!
हर सुबह ले आती है, ये छद्म-एहसास,
जब देखता हूँ, वो नील-आकाश,
किसी झील मे तैरते, श्वेत हंसो के सदृश,
श्वेताभ बादलों के पुंज,
क्षणिक ही, पर उम्मीद जरा-जरा,
इक विश्वास, पास, ले आया है नीलाभ नभ!
या छद्म-एहसास, ले आया है नीलाभ-नभ!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
फिर कितने पास, ले आया है नीलाभ-नभ!
सीमा-विहीन शून्यता, अंतहीन आकाश,
नीलाभ सा, वो रिक्त आभास,
यहीं-कहीं तुम्हारे होने का, छद्म-एहसास,
शून्य सा, वो ही लम्हा,
खाली-खाली ही, पर भरा-भरा,
इक विश्वास, पास, ले आया है नीलाभ नभ!
ये दिशाएं बाहें फैलाए, कुछ कहना चाहे,
शून्य में, भटकती वो आवाज,
रंगमच पर, दृष्टिगोचर होते बजते साज,
छंद-युक्त, पर चुप-चुप,
थिरकता पल, पर ठहरा-ठहरा,
इक विश्वास, पास, ले आया है नीलाभ नभ!
हर सुबह ले आती है, ये छद्म-एहसास,
जब देखता हूँ, वो नील-आकाश,
किसी झील मे तैरते, श्वेत हंसो के सदृश,
श्वेताभ बादलों के पुंज,
क्षणिक ही, पर उम्मीद जरा-जरा,
इक विश्वास, पास, ले आया है नीलाभ नभ!
या छद्म-एहसास, ले आया है नीलाभ-नभ!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-02-2019) को "खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है" (चर्चा अंक-3244) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्त पंचमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद आदरणीय मयंक जी।
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/108.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीय राकेश जी, इस सम्मान हेतु हृदयतल से आभार ।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन आदरणीय
ReplyDeleteसादर
ब।बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अनीता जी।
Deleteबहुत सुंदर रचना ,मार्मिक ,सादर नमन
ReplyDeleteसतत सदैव आभारी हूँ आदरणीय कामिनी जी।
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