Tuesday, 5 February 2019

वक्त से रंजिशें

वक्त की है साजिशें, या है बेवजह की ये रंजिशें!

था बेहद ही अजीज वो,
था दिल के बेहद ही करीब वो,
चुपके से, दुनियाँ से छुपके,
पुकारा था उसे मैनें,
डग भरता वक्त,
बेखौफ आया मेरे करीब,
बनकर मेरा अजीज,
तोड़ कर ऐतबार, छोड़ शरम,
मुझसे ही, करता रहा साजिश!

वक्त की है साजिशें, या है बेवजह की ये रंजिशें!

पनाहों में अपने लेकर,
आगोश में, हौले से भर कर,
सहलाता है हँसकर,
फेरकर रुख, करवटें बदल,
रचता है साजिश,
ये रंग, ये रंगत, ये कशिश,
मेरी उम्र पुरकशिश,
पल-पल, मेरे इक-इक क्षण,
मुझसे छीन, ले जाता है संग!

वक्त की है साजिशें, या है बेवजह की ये रंजिशें!

खफा हूँ मैं वक्त से,
रास कहाँ आया है वो मुझे,
टूटा है मेरा भरम,
उसे न आया मुझपे रहम,
रहा मेरा वहम,
कि वक्त का है करम!
जुदा हुआ मुझसे,
व्यर्थ गई है सारी कोशिशें,
अब भी है, वक्त से मेरी रंजिशें!

वक्त की है साजिशें, या है बेवजह की ये रंजिशें!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

13 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-02-2019) को "बहता शीतल नीर" (चर्चा अंक-3239) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बेहतरीन रचना आदरणीय

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    1. आदरणीया अभिलाषा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  3. बहुत कठिन है वक़्त की साज़िशों को वक़्त पर समझना। केवल एक दर्द ही राह जाता है साथ में। लाज़वाब अभिव्यक्ति।

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    1. आदरणीय कैलाश जी, ब्लाॅग पर स्वागत है आपका । आपकी अर्थपूर्ण प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक बना दिया है। बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. बेहद खूबसूरत रचना। आपको बधाई।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय नितीश जी। स्वागत है आपका ।

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  5. वाह बहुत ही बेहतरीन रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अनुराधा जी।

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  6. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अमित जी।

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  7. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....

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    1. पुनः स्वागत है आदरणीय संजय भास्कर जी। प्रेरक शब्दों हेतु आभारी हूँ ।

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