आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
कोई खेल कैसे, अकेले ही खेले!
कोई बात कैसे, खुद से कर ले अकेले!
तेरे बिन ये मेले, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
फागुन भी हारे, खो गए रंग सारे,
नैन, तुझको ना बिसारे, उधर ही निहारे,
तुम बिन ये रंग, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
बेरंग से ये फूल, तकती हैं राहें,
चुप-चुप सी कली, तुझको ही पुकारे,
रंग ये उदास, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
सूनी सी पड़ी, कब से ये गलियाँ,
गई जो बहारें, फिर न लौट आई यहाँ,
विरान गलियाँ, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
वो, कल के तराने, न होंगे पुराने,
ले आ वही गीत, वो ही गुजरे जमाने,
ये नए से तराने, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
जा कह दे, उन बहारों से जाकर,
वो ही तन्हाई में, गुम न जाए आकर,
ये लम्हात तन्हा, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
भूले कोई कैसे वो सावन के झूले,
कोई दूर कैसे, खुद से, रह ले अकेले!
बूंदें! ये तुम बिन, मुझको न भाए!
आ भी जाओ कि अबकी बहार आए!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 15 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार आदरणीया। ।।
Deleteअर्थपूर्ण सुंदर रचना माननीय।
ReplyDeleteआभारी हूँ आदरणीया सधु जी।
Deleteवो, कल के तराने, न होंगे पुराने,
ReplyDeleteले आ वही गीत, वो ही गुजरे जमाने,
ये नए से तराने, मुझको न भाए!
बहुत खूब,लाजबाब सृजन,सादर नमन आपको
आभारी हूँ आदरणीया कामिनी जी। शुक्रिया।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-12-2020) को "हाड़ कँपाता शीत" (चर्चा अंक-3917) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत सुंदर।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया ज्योति जी।
Deleteबहुत शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया नीतीश जी।।।।
Deleteइतनी सुंदर पुकार होगी तो आना ही होगा । अति सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अमृता जी
Deleteबहुत खूबसूरत कृति
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया भारती जी
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