लबों पे, ठहर जाते हैं, कुछ सवाल,
मायूस से, कुछ ख्याल!
उन पर, आ ही जाता है, रहम,
सो, चलाता हूँ कलम,कागजों पर,
टूट जाते है, सारे ही भरम,
बिखर जाते हैं,
सवाल!
मायूस से, कुछ ख्याल!
न जाने क्यूँ, कुछ बोलते नहीं!
क्यूँ लब, खोलते नहीं,
सिलते हैं ये,
बुनते हैं, सारे ही बवाल,
सिमट जाते है,
सवाल!
मायूस से, कुछ ख्याल!
क्या करे, बेजान से ये कागज!
नादान से, ये कागज,
ये कहे कैसे,
अधलिखे, हैं जो ख्याल,
मुकर जाते हैं,
सवाल!
लबों पे, ठहर जाते हैं, कुछ सवाल,
मायूस से, कुछ ख्याल!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
क्या करे, बेजान से ये कागज!
ReplyDeleteनादान से, ये कागज,
ये कहे कैसे,
अधलिखे, हैं जो ख्याल,
मुकर जाते हैं,
सवाल...अतिसुंदर
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया शकुन्तला जी।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति 👌
ReplyDeleteसादर प्रणाम 🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद आँचल जी। शुक्रिया। ।।
Deleteसराहनीय गीत।
ReplyDeleteआभार आदरणीय सर
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