सांझ के, बादल तले,
उभर आए हो, बनकर इक गजल,
देखें किसे!
दैदीप्य सा, इक चेहरा, है वो,
सब, नूर कहते हैं जिसे,
पिघल कर, उतर आए जमीं पर,
चाँद कहते हैं,
हम उसे!
सांझ के, बादल तले...
बड़ी ही, सुरीली सी सांझ ये,
सब, गीत कहते हैं जिसे,
जो, नज्म बनकर, गूंजे दिलों में,
गजल कहते हैं,
हम उसे!
सांझ के, बादल तले...
चह-चहाहट, या तेरी आहट,
कलरव, समझते हैं उसे,
सुरों की, इक लरजती रागिणी,
संगीत कहते हैं,
हम उसे!
सांझ के, बादल तले,
उभर आए हो, बनकर इक गजल,
देखें किसे!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
खूबसूरत गज़ल 🌹
ReplyDeleteआभार आदरणीया
Deleteबहुत लाजवाब।
ReplyDeleteआभार आदरणीय सर
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